महाकुंभ भगदड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ के साथ चिंता का विषय बताया है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायलय ने मामले में सुनवाई से इनकार किया है। न्यायलय ने कहा है कि घटना की जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करें। बता दें की याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई पीआईएल पर चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की बेंच ने इस पीआईएल पर सुनवाई की है।
प्रयागराज के महाकुंभ में मौनी अमावस्या की रात एक बजे भगदड़ में 30 लोगों बाद सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका के जरिए श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाने और 29 जनवरी को दुर्घटना में 30 श्रद्धालुओं की मौत पर स्थिति रिपोर्ट की मांग की गई थी। सीजेआई ने इस घटना को चिंता का विषय बताते हुए कहा, ‘यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जो चिंता का विषय है, लेकिन हाई कोर्ट जाएं, इस घटना पर एक न्यायिक आयोग पहले से गठित है।’ इस पर याचिकाकर्ता ने प्रतिवाद किया कि भगदड़ की घटनाएं नियमित होती जा रही हैं।
यूपी सरकार से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि घटना की न्यायिक जांच चल रही है। साथ ही इसी प्रकार की एक और याचिका हाई कोर्ट में दायर की गई है। दरम्यान सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका खारिज कर दी है।
इस पीआईएल के जरिए आरोप लगाया गया था कि घटना को रोकने के लिए यूपी प्रशासन की चूक, लापरवाही और विफलता दिखी। याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कुंभ आयोजनों में एक समर्पित ‘भक्त सहायता सेल’ स्थापित करने की भी मांग की थी। साथ ही याचिका में सभी राज्यों को भीड़ प्रबंधन को बढ़ाने के लिए नीतियां बनाने के निर्देश देने, कोर्ट से उत्तर प्रदेश सरकार के समन्वय में महाकुंभ में राज्यों से चिकित्सा सहायता दल तैनात करने के निर्देश देने की भी मांग थी।
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29 जनवरी को प्रयागराज में मौनी अमावस्या की रात एक बजे त्रिवेणी संगम की ओर बढ़ती भीड़ में भगदड़ मची जिसमें 30 लोगों की मौत हुई थी और 60 से अधिक लोग घायल हुए थे।