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Wednesday, March 5, 2025
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अयोध्या: केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने ऐतिहासिक गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब में ​माथा टेका​​!

अयोध्या यात्रा और यहां पर मुगलों के साथ लड़े युद्ध से जुड़े इतिहास के बारे में भी बताया।

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केंद्रीय मंत्री पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अयोध्या में ऐतिहासिक गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब में माथा टेका। अपनी इस यात्रा से जुड़ी वीडियो और तस्वीरें भी उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर की। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने गुरु गोविंद सिंह की

उन्होंने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि रक्षार्थ साहिब-ए-कमाल श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के निर्देश पर निहंग सेना ने मुगलों से युद्ध कर उन्हें धूल चटा दी थी। धर्म और मानवता की रक्षा के लिए गुरु जी की शिक्षाएं, उनके आदर्श हम सभी के लिए प्रेरणा के पुंज हैं। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए।

उन्होंने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “अयोध्या यानि जिसे शत्रु जीत न सके। आज उसी अयोध्या जी में प्रभु श्रीराम जन्मभूमि की संघर्ष यात्रा में सिखों के योगदान की एक ऐतिहासिक घटना, जो शायद अब तक अनकही रही, के बारे में बताता हूं। गुरूद्वारे में रखे वे हथियार व अन्य प्रमाण आज भी निहंग सेना के पराक्रम को बयां कर रहे हैं।”

हरदीप पुरी ने आगे लिखा, ”अयोध्या, हिंदू-सिख धर्म के अटूट संबंधों की प्रगाढ़ता का जीवंत प्रमाण है। साक्ष्य मौजूद हैं। श्री राम जन्मभूमि संघर्ष के इतिहास में पहला उपलब्ध प्रमाण निहंग सिख फकीर खालसा की पूजा का है। फैसले के आधार के रूप में उच्चतम न्यायालय ने भी इसकी प्रमाणिकता पर मुहर लगाई है।

अयोध्या जी की पावन यात्रा के दौरान मुझे गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह वह भूमि है, जो धन-धन श्री गुरु नानक देव जी साहिब, नौवें पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी व दशमेश पिता साहिब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज की चरण रज से पवित्र है।”

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने लिखा,धर्म और मानवता की रक्षा के लिए गुरु जी की शिक्षाएं, उनके आदर्श हम सभी के लिए प्रेरणा का पुंज हैं। प्रभु श्री रामलला सरकार के मंदिर को देखकर उन्हें भी खुशी की अनुभूति अवश्य हो रही होगी। श्री राम मंदिर के संघर्ष और प्रतीक्षा की कड़ी में पूज्य गुरु जी के योगदान का साक्षात अनुभव यहां आकर किया जा सकता है। मैं यहां आकर भावविभोर हो उठा। वाहे गुरु जी दा खालसा, वाहे गुरु जी दी फतेह।”

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