महाराष्ट्र के नागपुर में भड़की हिंसा पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो चुकी है। घटना के बाद से विपक्ष लगातर महायुती सरकार पर कानून व्यवस्था ख़राब होने के आरोप लगा रही है। दरम्यान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने इस घटना को भाजपा-शिवसेना की “साजिश” करार देते हुए कहा कि यह लोगों का ध्यान भटकाने की एक सोची-समझी चाल है।
प्रमोद तिवारी ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा, “मैं जनता से अपील करता हूं कि वे शांति बनाए रखें। लेकिन साथ ही मैं भाजपा पर आरोप लगाता हूं कि उन्होंने चुनावी मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस आग में घी डालने का काम किया है।” उन्होंने सवाल उठाया कि आखिरकार औरंगजेब की कब्र पर विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है, जबकि वह सैकड़ों साल पहले मर चुका था।
तिवारी ने सरकार को घेरते हुए कहा कि नागपुर हिंसा के पीछे सत्ता पक्ष का ही हाथ है। उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि भाजपा-शिवसेना की सरकार लोगों को असली मुद्दों से भटकाने के लिए इस तरह के सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे रही है। चुनावी वादों को पूरा करने में असफल रहने के बाद उन्होंने औरंगजेब के मुद्दे को जानबूझकर उठाया है।”
उन्होंने इस हिंसा की हाई कोर्ट के मौजूदा जज की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है। हालांकि पुलिस प्रशासन की ओर से हिंसक झड़प के तुरंत बाद ही स्थिती को संभालने की कोशिश की गई थी, लेकीन भारी पथराव, आगजनी और झड़प में 15 पुलिसकर्मी घायल हुए है। अभी तक 50 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, साथ ही नागपुर के 10 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया है।
घटना तब हुई जब विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता मुग़ल आक्रमणकारी औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग करते हुए शांतिपूर्ण रूप से आंदोलन कर रहें थे। इसी बीच मुस्लिम कट्टरपंथियों ने भीड़ इकठ्ठा कर नारेंबाजी की, साथ ही सोशल मीडिया के जरिए कुरआन के पैन जलाने की अफवाह फ़ैलाने के बाद मुस्लिम कट्टरपंथियों की ओर से शांतिपूर्ण आंदोलन को निशाना बनाने की कोशिश की गई।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है की दोषियों के साथ कठोरता से व्यवहार किया जाएगा। पुलिसकर्मियों पर हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएगें। साथ ही मुख्यमंत्री फडणवीस ने इन हमलों को योजनाबद्ध तरीके से किए हुए हमले कहा है।
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