समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा संसद में राणा सांगा पर दिए गए बयान को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि उनकी पार्टी का उद्देश्य किसी भी इतिहास पुरुष का अपमान करना नहीं है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य विपक्षी दलों ने इस बयान को राजपूत समाज का अपमान करार दिया और अखिलेश यादव पर निशाना साधा।
बुधवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए अखिलेश यादव ने लिखा, “समाजवादी पार्टी सामाजिक न्याय और समतामूलक समाज की स्थापना में विश्वास करती है। हम कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी सम्मान दिलाना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य किसी इतिहास पुरुष का अपमान करना नहीं हो सकता। समाजवादी पार्टी मेवाड़ के राजा राणा सांगा की वीरता और राष्ट्रभक्ति पर कोई सवाल नहीं कर रही।”
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि “भाजपा ने इतिहास के कुछ विषयों को राजनीतिक लाभ उठाने और समाज को विभाजित करने के लिए इस्तेमाल किया है। हमारे सांसद ने केवल एक पक्षीय लिखे गए इतिहास और उसकी व्याख्या का उदाहरण दिया है।” भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने अखिलेश यादव की सफाई को ‘खिसियाहट भरी प्रतिक्रिया’ बताया और सपा पर इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाया।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “समाजवादी पार्टी का इतिहास रहा है कि वह मुगलों का महिमामंडन करती है और वीर भारतीय योद्धाओं को अपमानित करती है। राणा सांगा का भारत के इतिहास में योगदान अविस्मरणीय है, लेकिन सपा के नेता बाबर को महान साबित करने में लगे हैं।”
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “रामजी लाल सुमन का बयान समाजवादी पार्टी की मानसिकता को दर्शाता है। यह वही पार्टी है जो कभी जिन्ना की तुलना महात्मा गांधी से करती थी, अब यह राणा सांगा का अपमान कर रही है। अखिलेश यादव को राजपूत समाज और पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।” राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी सपा पर निशाना साधते हुए कहा, “इतिहास से छेड़छाड़ और वीरों का अपमान करना समाजवादी पार्टी की आदत बन चुकी है।”
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इस बयान के खिलाफ करणी सेना और अन्य राजपूत संगठनों ने सपा और रामजी लाल सुमन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। आगरा में रामजी लाल सुमन के घर के बाहर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और पुतला दहन किया। करणी सेना के प्रमुख ने कहा, “अगर रामजी लाल सुमन और सपा प्रमुख ने सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी, तो पूरे उत्तर प्रदेश में उनका विरोध होगा।”
रामजी लाल सुमन ने संसद में कहा था, “मुझे यह जानना है कि बाबर को भारत में लाने वाला कौन था? क्या इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा ने नहीं बुलाया था?” उनके इस बयान के बाद भाजपा और राजपूत संगठनों में नाराजगी देखी गई।
राणा सांगा पर दिए गए बयान को लेकर मचा यह विवाद अभी शांत होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। भाजपा और राजपूत संगठनों ने इस मामले में और आक्रामक रुख अपनाने का संकेत दिया है, जबकि समाजवादी पार्टी अपने बचाव में खड़ी नजर आ रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव इस विवाद को शांत करने के लिए आगे क्या कदम उठाते हैं।