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Saturday, November 23, 2024
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क्या इन बड़े शहरों ने बिगाड़ी गांवों की फिजा,तेजी से फैल रहा इन राज्यो में कोरोना?

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मुंबई/लखनऊ। मुंबई, पुणे, दिल्ली,सूरत अहमदाबाद आदि शहरों से लाखों की तादाद में मजदूर यूपी-बिहार-झारखड गए हैं। पहले इन राज्यों में कोरोना न के बराबर थे, पर जैसे ही इन शहरों से पलायन हुआ। गांवों में कोरोना फैलने लगा है। देश के बड़े शहरों में जैसे कोरोना फैला लोग गांव जाने लगे और विविध लापरवाही से कोरोना जैसी घातक बीमारी का फैलाव होने लगा आज भयानक हालात हैं। इस महामारी से गांवों में मौते हो रही हैं।  उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हुई अब तक की जांच में लगभग 25 से 30 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित मिले हैं, हालांकि जिलों में इनका प्रतिशत कहीं ज्यादा है तो कहीं कम।

अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में जांच नियोजित ढंग से नहीं शुरू हो पाई है। जांच केंद्रों का भी अभाव है। कुछ जिलों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच केंद्र अवश्य बनाए गए हैं। गांवों में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी बहुत कम आइसोलेशन सेंटर बने हैं। पहले होली और बाद में गेहूं की कटाई, शादी विवाह और पंचायत चुनाव के लिए प्रवासियों की वापसी भी गांवों में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ने का कारण है। पंचायत चुनाव में कोविड प्रोटोकाल के नियमों और शारीरिक दूरी के नियमों का खुला उल्लंघन, शादी विवाह की खरीदारी के लिए शहरों में जाना, भीड़ में रहना और बिना जांच के ही वापसी ने तेजी से संक्रमण बढ़ाया है।

पांच मई से बिहार में लाकडाउन लगा है। ऐसे में स्थिति में सुधार की उम्मीद है। यही हाल झारखंड का है। यहां की लगभग 35 फीसद ग्रामीण आबादी कोरोना की चपेट में है। खासकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के हाट-बाजारों में लोगों का जमावड़ा लग रहा है। कोविड को लेकर सरकार के स्तर से जारी दिशानिर्देशों का यहां अपेक्षाकृत अनुपालन नहीं हो पा रहा है। गांव स्तर पर अभी भी टीकाकरण की व्यवस्था नहीं हो सकी है। जहां व्यवस्था है वहां टीकाकरण के प्रति ग्रामीण अपेक्षाकृत उदासीन हैं।

पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु दर 58 फीसद और शहरों में 42 फीसद है। तीन मई तक पंजाब में 9,472 लोगों की जान कोरोना के कारण गई। इनमें से ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े लोग 5494 हैं। भर्ती करने की स्थिति में मरीज शहरों का ही रुख कर रहे हैं। वहीं हरियाणा में मास्क और शारीरिक दूरी की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। लाकडाउन का पालन भी गांवों में न के बराबर है।

MP के शिवपुरी जैसे छोटे जिले में ही संक्रमण दर 35 फीसद तक है। गांवों में संक्रमण बढ़ने की वजह अन्य प्रदेशों से प्रवासियों की आवाजाही का जारी रहना भी है। गांवों में पिछली लहर की तरह उन्हें क्वांरटाइन किए जाने या उनकी स्कैनिंग के कोई इंतजाम नहीं दिखे। हालांकि कुछ गांवों ने अपने स्तर पर ये प्रयास किए, लेकिन सरकारी अमला लापरवाह बना रहा। सर्वाधिक संक्रमित महाराष्ट्र से बसों की आवाजाही बंद हुई तो लोग छोटे वाहनों से आते रहे। उत्तर प्रदेश और राजस्थान से तो बसें कुछ दिन पहले प्रतिबंधित की गईं।

 

 

 

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