मुंबई। आवाज की दुनिया के जादूगर सोनू निगम किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। सोनू निगम गायकी से लेकर अभिनय तक में झंडा गाड़ा है। लेकिन सोनू निगम का पहला प्यार अभिनय रहा है। हालांकि अभिनय में सोनू निगम को सफलता नहीं मिली, लेकिन गायकी में उन्होंने कामयाबी के शिखर पर रहे।
विरासत में मिली गायकी ने सोनू निगम को वो मुकाम दिया जो कई लोगों को नसीब नहीं हुआ। महज 3 साल की उम्र से अपने पिता के साथ स्टेज शो और कार्यक्रमों गायकी करने वाले सोनू निगम अब तक 320 से ज्यादा फिल्मों में गाना गा चुके हैं। उन्होंने भारत की लगभग हर क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी आवाज का जादू बिखेर चुके हैं। सोनू निगम जब दिल्ली से मुंबई आये तो उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। गुलशन कुमार ने सोनू निगम की प्रतिभा को पहचाना और ब्रेक दिया। इसके बाद मोहम्मद रफी के गानों ने सोनू निगम को बुलंदियों पर पहुंचा दिया। फिर कभी सोनू निगम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
3 साल की उम्र से स्टेज शो: गायक सोनू निगम का जन्म 30 जुलाई 1973 को हरियाणा के फरीदाबाद में हुआ है। उनके पिता अगम कुमार दिल्ली के एक मशहूर स्टेज गायक थे। अपने पिता के साथ 3 साल की उम्र से ही सोनू ने स्टेज शो करने शुरू कर दिए थे। अपने पिता के मार्गदर्शन में ही सोनू निगम ने अपना करियर आगे बढ़ाया। दिल्ली से मुंबई आए सोनू निगम को शुरुआती दौर में कड़े इम्तिहानों से गुजरना पड़ा।
उन्होंने कई शो में अपनी गायकी से लोगों मनमुग्ध कर दिया। सोनू निगम ने पहली बार 18 साल की उम्र में फिल्म ‘आजा मेरी जान’ के लिए गाना गाया। दुर्भाग्यवश यह फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हुई और इसके बाद सोनू निगम को एक बेहतरीन मौका मिला टी-सीरीज के लिए गाना रिकॉर्ड करने का। इस तरह सोनू निगम ने ‘रफी की यादें’ से अपने करियर की शुरुआत की। उसके बाद फिल्म सनम बेवफा के गीत ‘अच्छा सिला दिया तूने’ से उन्हें अपार सफलता मिली। फिल्म सनम बेवफा के बाद सोनू को कई बेहतरीन ऑफर मिले।
उन्होंने कई शो में अपनी गायकी से लोगों मनमुग्ध कर दिया। सोनू निगम ने पहली बार 18 साल की उम्र में फिल्म ‘आजा मेरी जान’ के लिए गाना गाया। दुर्भाग्यवश यह फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हुई और इसके बाद सोनू निगम को एक बेहतरीन मौका मिला टी-सीरीज के लिए गाना रिकॉर्ड करने का। इस तरह सोनू निगम ने ‘रफी की यादें’ से अपने करियर की शुरुआत की। उसके बाद फिल्म सनम बेवफा के गीत ‘अच्छा सिला दिया तूने’ से उन्हें अपार सफलता मिली। फिल्म सनम बेवफा के बाद सोनू को कई बेहतरीन ऑफर मिले।
संदेसे आते हैं हुआ पॉपुलर: ‘बॉर्डर’ फिल्म का संदेसे आते हैं और ‘परदेस’ का ये दिल दीवाना गाकर उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी एक मजबूत पकड़ बना ली। सोनू हिंदी के अलावा कन्नड़, उड़िया, तमिल, असमी, मराठी, पंजाबी, मल्यालम, तेलगु और नेपाली इन सभी भाषाओं में अपनी आवाज का जादू बिखेर चुके हैं। उन्होंने अपनी गायकी के लिए कई अवार्ड भी जीते हैं। सोनू निगम को दो बार फिल्मफेयर अवार्ड फिल्म ‘साथिया’, ‘कल हो ना हो’ के लिए मिला है, इसके अलावा ‘कल हो ना हो’ के लिए ही उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड फॉर बेस्ट प्लेबैक सिंगर भी मिल चुका है। उन्होंने 3 दशक के अपने करियर में लगभग 320 फिल्मों के लिए गाने गाए।
सोनू एक बेहतरीन गायक हैं लेकिन उन्होंने अभिनय में भी हाथ आजमाया है। उन्होंने ‘प्यारा दुश्मन’, ‘उस्ताद उस्तादी से’, ‘बेताब’, ‘हमसे है जमाना’ और ‘तकदीर’ जैसी फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया तो वहीं ‘जानी दुश्मन’, ‘लव इन नेपाल’, ‘काश आप हमारे होते’ जैसी फिल्मों में बतौर अभिनेता के रोल में नजर आए। सोनू निगम ने 2008 में पंजाबी गाना और रफी रेसरेक्टेड नामक एलबम भी निकला था। इसके आलावा चंदा की डोली के कई गीत भी लिखे हैं।
सोनू एक बेहतरीन गायक हैं लेकिन उन्होंने अभिनय में भी हाथ आजमाया है। उन्होंने ‘प्यारा दुश्मन’, ‘उस्ताद उस्तादी से’, ‘बेताब’, ‘हमसे है जमाना’ और ‘तकदीर’ जैसी फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया तो वहीं ‘जानी दुश्मन’, ‘लव इन नेपाल’, ‘काश आप हमारे होते’ जैसी फिल्मों में बतौर अभिनेता के रोल में नजर आए। सोनू निगम ने 2008 में पंजाबी गाना और रफी रेसरेक्टेड नामक एलबम भी निकला था। इसके आलावा चंदा की डोली के कई गीत भी लिखे हैं।