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आखिर ये फ़िल्में क्यों हुईं जनता के गुस्से की शिकार ?  

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मुंबई. ये हैं बॉलीवुड की सबसे विवादित फिल्में भारतीय फिल्मों की अपनी एक अलग पहचान है.नाच-गाना भारतीय फिल्मों की मुख्य पहचान है.भारत की कई ऐसी फ़िल्में हैं जो अपने निर्माण के समय में ही विवाद में फंस गई. कुछ फिल्मों की तो रिलीज डेट बदली गई। कुछ फ़िल्में विवादों के कारण हिट या फ्लॉप हुईं। कुछ विवादित फ़िल्में जिनको काट-छांट कर भी रिलीज की गईं। कुछ फिल्मों पर प्रतिबंध भी लगा, इतना ही नहीं कई फ़िल्में तो लोगों के गुस्से का शिकार हुई, उनके पोस्टर फाड़े और जलाये गए, सिनेमा हाल में तोड़फोड़ की गई। कुछ ऐसी ही फ़िल्में भी बनी जो भारतीय समाज को पहचान दीं, लेकिन विवादों में रहीं। वहीं कुछ लोग अपनी फिल्म का प्रमोशन करने के लिए विवादित डॉयलाग या छोटे- मोठे अंश जोड़ कर फिल्म को चर्चा में ला देते है. किसी शो या आयोजन में पहुँचकर फिल्म का एक तरह से प्रमोशन करते हैं.आइये जानते हैं भारत की कुछ विवादित फ़िल्में जो रिलीज होने से पहले ही विवादों में आ गई या रिलीज होने के बाद.

आंधी (1975)

यह फिल्म संजीव कुमार और सुचित्रा सेन अभिनीत, और गुलज़ार द्वारा निर्देशित है। उस समय यह आरोप लगाया गया था कि यह फिल्म तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पति के साथ उनके रिश्ते पर आधारित थी। आंधी इंदिरा गांधी केराजनीतिक सफर पर बनी यह फिल्म कांग्रेस के शासन काल में बैन रही। 1977 में जब सत्ता का परिवर्तन हुआ तो इस फिल्म से प्रतिबंध हटा लिया गया।  इतना ही नहीं इस फिल्म को दूरदर्शन पर भी दिखाया गया।

इंसाफ का तराजू (1982)

इंसाफ का तराजू फिल्म, बीआर चोपड़ा द्व्रारा निर्देशित थी। इस फिल्म में अभिनेता राज बब्बर थे. फिल्म में एक13 सालकी बच्ची के साथ रेप सीन दिखाया गया था, जिसका जमकर विरोध हुआ था। यह फ़िल्म अमेरिकी फ़िल्म लिपस्टिक पर आधारित है और इसकी सफलता को देखकर इसके रिमेक के रूप में तेलुगू फ़िल्म ईडी नयायम ईडी धर्मम (1982) का निर्माण किया गया।

बैंडिट क्वीन (1994)

बैंडिट क्वीन,दस्युसुंदरी फूलन देवी की जिंदगी पर आधारित थी. शेखर कपूर की यह फिल्म बॉलीवुड की सबसे विवादित फिल्मोंमें से एक है। फिल्म में न्यूड और रेप सीन के साथ-साथ गालियों का भी इस्तेमाल कियागया था, जिसे लेकर भारी विवाद पैदा हुआ। फूलन ने स्वंय इस फिल्म के प्रदर्शन का विरोध किया पर अततः फिल्म को न्यायालय से स्वीकृति मिलने के उपरांत प्रदर्शित किया गया।

द ब्लैक फ्राइडे  (2004)

द ब्लैक फ्राइडे, साल 1993के मुंबई बम धमाकों की पृष्ठभूमि पर आधारित इस फिल्म के प्रदर्शन पर दो साल तक बैन था। ऐसा कहा गया कि फिल्म का प्रदर्शन न्यायिक जांच और निर्णय को प्रभावित कर सकता है।

किस्सा कुर्सी का (1977)

किस्सा कुर्सी का फिल्म, भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरागांधी और उनके बेटे संजय गांधी की राजनीतिक शैली पर तंज कसती हुई फिल्म थी। इस फिल्म पर आपातकाल के दौरान प्रतिबंध लगा दिया गया था। फिल्म में शबाना आजमी,उत्पल दत्त जैसे मंझे हुए कलाकार ने अभिनय किया है। फिल्म का निर्देशन अमृत नाहटा ने किया था।

फिराक (2009)

फिराक फिल्म, नंदिता दास की यह फिल्म साल 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित थी। फिल्म कोअंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई अवॉर्ड और सम्मान मिले। लेकिन इस फिल्म पर गुजरात में प्रतिबंध रहा और उसे वहां रिलीज भी नहीं किया गया। फिराक का मतलब अरबी में जुदाई और तलाश दोनों है।

फायर (1996)

फायर, शबाना आजमी और नंदिता दास केअभिनय वाली इस फिल्म में लेस्बियन थीम को दिखाया गया था। महाराष्ट्र में शिवसेना और बजरंग दल जैसे कई राजनीतिक संगठनों ने इस फिल्म की थीम का विरोध किया था। विवादों के बीच यह सवाल भी उठा कि क्या भारत नए सिनेमा के लिए तैयार नहीं है।

वाटर (2005)

वाटर फिल्म, दीपा मेहता द्व्रारा निर्देशित फिल्म, वाटर आश्रम में रहने वाली विधवाओं की जिंदगी को दिखाती है। फिल्म को हिंदु समाज की मान्यताओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया गयाऔर इसके पोस्टरों को भी जलाया गया। लोगों ने फिल्म निर्माण में भी बाधा पहुंचाई। यह फिल्म कुछ समय के बाद बनाई गई.

आरक्षण (2011)

आरक्षण फिल्म,  जातिगत आरक्षण जैसे संवेदनशील विषय को दिखाती है. इस फिल्म पर उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश में बैन लगा दिया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट केआदेश के बाद इस पर से बैन हटाया  लिया गया। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण मुख्य भूमिकाओं में थे।

ओह माई गॉड (2012)

ओह माई गॉड फिल्म, भारत की धार्मिक मान्यताओं और इसकी स्थिति को अच्छे से प्रस्तुत करने के लिए फिल्म की तारीफ की गई। लेकिन विवाद भी इससे दूर नहीं रहे। कुछ संगठनों ने विरोध कर कहा कि यह हिंदुओं की भावनाओं को आहत करती है। इस फिल्म पर संयुक्त अरब अमीरात में भी प्रतिबंध लगाया गया।

 मद्रास कैफे (2013)

मद्रास कैफे फिल्म, जान अब्राहम अभिनीत यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि पर आधारित थी। इसमें श्रीलंकाई गृह युद्ध में भारतीय दखल को दिखाया गया था। तमाम तमिल समूहों ने इस फिल्म पर प्रतिबंध की मांग की थी।

पीके (2014)

पीके आमिर खान और अनुष्का शर्मा जैसे मझे कलाकारों की इस फिल्म ने एक बड़ी बहस छेड़ी थी। फिल्म में दिखाया गया था कि कुछ मान्यताएं और रीति रिवाज अंधविश्वास से भरे हुए हैं। जिसके चलते विवाद खड़ा हुआ था।

माय नेम इज खान (2010)

माय नेम इज खान फिल्म , साल 2010में फिल्म के रिलीज के आसपास अभिनेता शाहरुख खान ने कहा था कि वे चाहते हैं कि आईपीएल टूर्नामेंट में पाकिस्तानी खिलाड़ी भी हिस्सा लें। जिस पर शिवसेना समेत तमाम हिंदूवादी संगठनों ने फिल्म की रिलीज पर मुश्किलें खड़ी कीं।

फना (2006)

फना फिल्म, इस फिल्म के रिलीज से पहले ही अभिनेताआ मिर खान ने नर्मदा बांध की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर एक बयान दिया था। जिसके बाद गुजरात की तत्कालीन भाजपा सरकार ने राज्य में न सिर्फ फिल्म के रिलीज पर प्रतिबंधलगा दिया था बल्कि आमिर द्वारा प्रचार किए जाने वाले सभी उत्पादों को भी बैन करदिया था।

बूम (2003)

बूम फिल्म, कैटरीना कैफ की पहली फिल्म है. अब शायद कैफ इस फिल्म को याद  न करना चाहतीं हो। लेकिन इस फिल्म में दिखाए गए दृश्यों पर जबरदस्त विवाद हुआ था.फिल्म में गुलशन ग्रोवर और कैटरीना कैफ का एक किसिंग सीन था जिसे बाद में हटाया गया था। लेकिन फिल्म को सॉफ्ट पोर्न कहा गया था, जिसके चलते विवाद हुआ।

हैदर फिल्म (2014)

हैदर फिल्म, कश्मीर की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में भारतीय सेना कीभूमिका पर भी सवाल उठाए गए। एक बड़ा गुट इसका विरोध करता रहा साथ ही फिल्म के बॉयकॉट का आह्वान भी किया गया। फिल्म में शाहिद कपूर, तब्बू, श्रद्धा कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे।

लम्हा (2010)

लम्हा फिल्म, अभिनेत्री बिपाशा बसु अभिनीत इस फिल्म में कश्मीर मुद्दे को दिखाया गया। लेकिन अपने संवेदनशील विषय के चलते फिल्म सऊदी अरब, पाकिस्तान, बहरीन, कुवैत, कतर, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात में बैन है। संयुक्त अरब अमीरात के सेंशरशिप बोर्ड ने फिल्म को बेहद ही विवादित और आपत्तिजनक कहा।

द डर्टी पिक्चर (2011)

द डर्टी पिक्चर , सिल्क स्मिता के जीवन पर बनी यह फिल्म एक तो इसके पोस्टर के चलते विवादों में रही। वहीं दूसरा कारण था इसके अदालती पचड़े में पड़ना।सिल्क स्मिता के भाई ने फिल्म निर्देशकों को अदालती नोटिस भेजा था ।

परजानिया (2005)

परजानिया फिल्म,गुजरात दंगों पर आधारित इस फिल्म को गुजरात में नहीं दिखाया जा रहा था। लेकिन एक सामाजिक संस्था की मुहिम के बाद इस संवेदनशील फिल्म को गुजरात के कुछ हिस्सों में दिखाया गया।

एक छोटी सी लव स्टोरी (2002)

एक छोटी सी लव स्टोरी इस फिल्म की अभिनेत्री मनीषा कोईराला ने ही फिल्म के रिलीज पर बैन की मांग की थी और अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

रंग दे बंसती़ (2006)

रंग दे बंसती़ आमिर खान अभिनीत इस फिल्म में मामला भावनाओं से जु़ड़ा नहीं थाबल्कि यहां पशु संरक्षण और पशु अधिकारों की बात की गई। भाजपा नेता मेनका गांधी ने फिल्म में घोड़े के इस्तेमाल पर सवाल उठाया था।

लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का (2016)

लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का फिल्म निर्माता प्रकाश झा की फिल्म लिपिस्टक अंडर माय बुर्का को सेंसर बोर्ड ने प्रमाणित करने से मना कर दिया था। बोर्ड ने कहा था कि यह एक महिला प्रधान फिल्म है जो असल जिदंगी के परे है। बोर्ड ने कहा कि इसमें विवादास्पद यौन दृश्य, अपमानजनक शब्द और ऑडियो पोर्नोग्राफी शामिल है जो समाज के एक खास तबके के प्रति अधिक संवेदनशील है।

उड़ता पंजाब (2016)

उड़ता पंजाब शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म उड़ता पंजाब को लेकर बोर्ड और फिल्म निर्माताओं के बीच बड़ा विवाद हुआ था। पंजाब में नशे की समस्या पर बनी इस फिल्म में बोर्ड ने 89 कट सुझाये थे। मामला हाई कोर्ट पहुंचा और अदालत ने एक कट के साथ इसे रिलीज करने की अनुमति दी।

मैंसेजर ऑफ गॉड (2020)

मैंसेजर ऑफ गॉड इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने रिलीज सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया था और मामले को समीक्षा समिति के पास भेजा था। बोर्ड ने फिल्म निर्माता-निर्देशक, लेखक अभिनेता गुरमीत राम रहीम सिंह के स्वयं को देवता के रूप में पेश किये जाने पर विरोध जतायाथा। लेकिन फिल्म को प्रमाणन अपीलीय ट्रिब्यूनल ने स्क्रीनिंग की मंजूरी दी। इसके बाद तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष लीला सैमसन ने इस्तीफा दे दिया।

जॉली एलएलबी-2 (2017)

जॉली एलएलबी 2 भारतीय न्यायिक व्यवस्था पर व्यंग्य करती अभिनेता अक्षय कुमार कीफिल्म जॉली एलएलबी-2 पर सेंसर बोर्डने नहीं, बल्कि बंबई हाई कोर्ट ने कट लगाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि फिल्म से उन दृश्यों को हटाया जाए जो वकीलों की गलत छवि पेश करते हैं।

पद्मावत’ (2018) 

पद्मावत’ एक भारतीय ऐतिहासिक फ़िल्म है, जिसका निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका में दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह हैं। पहले यह फ़िल्म 1 दिसम्बर 2017 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली थी;  परंतु फिर कुछ लोगों के विरोध और सुप्रीम कोर्ट में चली कानूनी कार्यवाही के बाद यह 25  जनवरी 2018 को रिलीज हुई। इस फ़िल्म में चित्तौड़ की प्रसिद्द राजपूत रानी पद्मिनी का वर्णन किया गया है जो रावल रतन सिंह की पत्नी थीं। यह फ़िल्म दिल्ली सल्तनत के तुर्की शासक अलाउद्दीन खिलजी का 1303 ई. में चित्तौड़गढ़ के दुर्ग पर आक्रमण को भी दर्शाती है। इस का राजस्थान की एक सामाजिक संस्था करणी सेना और राजपूत समूहों  समूहों  विरोध किया था।  दावा किया गया कि फ़िल्म में एक सपने  सीन है, जिसमें पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी को अंतरंग स्थिति में दिखाया गया है।

छपाक (2020)

छपाक फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित फिल्म है। इस फिल्म में बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने अभिनय किया है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि एक लड़की के ऊपर एसिड से हमला होने के बाद कैसे अपनी जिंदगी जीती है। लेकिन यह फिल्म उस समय विवादों में फंस गई जब फिल्म की अभिनेत्री पादुकोण सीएए और एनआरसी के समर्थन में चल रहे आंदोलन में पहुंच गई। सोशल मीडिया का इसका बायकॉट किया गया और यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉफ़ हो गई।

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