परवीन बॉबी — पर्दे की रानी, जिसकी प्रेम कथा हमेशा रही अधूरी!

परवीन बॉबी सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं थीं, वह एक आंदोलन थीं—जो पारंपरिक नायिकाओं से अलग थी। वह बोल्ड थीं, आत्मनिर्भर थीं और अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने वाली थीं।

परवीन बॉबी — पर्दे की रानी, जिसकी प्रेम कथा हमेशा रही अधूरी!

Parveen Bobby - the queen of the screen, whose love story always remained incomplete!

परवीन बॉबी… एक नाम जो 70 और 80 के दशक की चमकदार, बिंदास और बेबाक हीरोइन की पहचान बन गया। एक दौर था जब फिल्म इंडस्ट्री में उनकी खूबसूरती, ग्लैमर और बेधड़क शख्सियत का बोलबाला था। लेकिन आज जब हम उनकी जयंती (4 अप्रैल) पर उन्हें याद करते हैं, तो उनकी अधूरी प्रेम कहानी एक टीस की तरह दिल में उठती है।

परवीन बॉबी ने अपने अभिनय करियर में जो मुकाम हासिल किया, वह कम ही अभिनेत्रियों को नसीब होता है। लेकिन निजी जीवन की कहानी, विशेषकर प्रेम की, कभी भी वैसी नहीं बन पाई जैसी परियों की कहानियों में होती है। परवीन बॉबी का दिल कई बार धड़का, लेकिन हर बार टूटा। उनका पहला प्यार थे डैनी डेन्जोंगपा। दोनों के बीच की केमिस्ट्री फिल्मी गलियारों में चर्चा का विषय बनी रही, लेकिन यह रिश्ता तीन साल में ही टूट गया।

इसके बाद उनकी जिंदगी में आए कबीर बेदी, जिन्होंने टूटे दिल को सहारा दिया। लेकिन ये रिश्ता भी जटिल था—कबीर पहले से शादीशुदा थे, और इसी वजह से दोनों के बीच दूरी बढ़ती चली गई। यह संबंध भी तीन साल से ज्यादा नहीं टिक सका।

फिर आए महेश भट्ट। एक बार फिर परवीन ने दिल लगाया, लेकिन हालात फिर उनके पक्ष में नहीं थे। महेश भी विवाहिता थे और उनके साथ का रिश्ता भावनात्मक रूप से अस्थिर रहा। हालांकि महेश भट्ट ने खुद स्वीकार किया है कि परवीन ने उनके जीवन को गहराई से प्रभावित किया।

एक वक्त ऐसा भी आया जब परवीन ने सुपरस्टार अमिताभ बच्चन पर सनसनीखेज आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि अमिताभ उनकी जान लेना चाहते हैं। यह दावा जितना चौंकाने वाला था, उतना ही उनकी मानसिक स्थिति पर भी सवाल उठाने वाला।

परवीन बॉबी की अंतिम जिंदगी चकाचौंध से दूर, तन्हा और रहस्यमयी हो गई थी। उन्होंने खुद को दुनिया से काट लिया था। वह मिलना-जुलना बंद कर चुकी थीं और अपने अपार्टमेंट में अकेली रहती थीं। 2005 में उनका शव उनके घर में सड़ती हालत में मिला—एक ऐसी मौत, जिसने बॉलीवुड को झकझोर कर रख दिया।

परवीन बॉबी सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं थीं, वह एक आंदोलन थीं—जो पारंपरिक नायिकाओं से अलग थी। वह बोल्ड थीं, आत्मनिर्भर थीं और अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने वाली थीं। लेकिन इसी आज़ादी की कीमत उन्हें अपने निजी जीवन में चुकानी पड़ी। उनकी कहानी आज भी एक सवाल छोड़ जाती है—क्या शोहरत पाने वाली हर महिला अपनी निजी खुशी से समझौता करती है? परवीन बॉबी की अधूरी प्रेम कहानी उसी प्रश्न की गूंज है, जिसे आज भी वक्त सुन रहा है।

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