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Sunday, December 7, 2025
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‘उदयपुर फाइल्स’ पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उठाए सवाल!

पूछा—क्या केंद्र सरकार को फिल्म में कट्स सुझाने का अधिकार है?

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कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर जारी विवाद के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने साफ तौर पर पूछा कि क्या सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को फिल्म में बदलाव या कट्स सुझाने का अधिकार है, जबकि यह जिम्मेदारी सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) की है?

दरअसल, सरकार की ओर से गठित पांच सदस्यीय समीक्षा समिति ने फिल्म में छह बड़े बदलाव करने के सुझाव दिए थे, जिनमें वॉयसओवर जोड़ने, डायलॉग हटाने और कुछ संवेदनशील दृश्यों में बदलाव जैसे निर्देश शामिल थे। इस पर कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्र रिव्यू अथॉरिटी के तहत किस हद तक आदेश पारित कर सकता है, यह स्पष्ट नहीं है।

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र से पूछा—
“आपने वास्तव में किया क्या? क्या आपने सीबीएफसी की सिफारिशों से हटकर निर्देश दिए, और क्या यह कानूनी रूप से स्वीकार्य है?”

कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को वैधानिक दायरे में रहकर ही कार्य करना चाहिए और उसकी भूमिका अपीलेट अथॉरिटी (अपील करने वाली संस्था) की तरह नहीं हो सकती।

गौरतलब है कि पिछले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर अस्थायी रोक लगाई थी और केंद्र सरकार को याचिकाओं पर विचार करने को कहा था। इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने समिति गठित की, जिसने फिल्म के डिस्क्लेमर, डायलॉग और दृश्य को लेकर सुझाव दिए।

समिति के प्रमुख सुझावों में शामिल हैं:

सरकार की ओर से गठित पांच सदस्यीय समिति ने फिल्म में कुछ अहम बदलावों की सिफारिश की थी।
इन सुझावों में फिल्म के डिस्क्लेमर में बदलाव करना, सऊदी अरब में प्रचलित पगड़ी से संबंधित AI-जनरेटेड दृश्य को संपादित करना और विवादित पात्र “नूतन शर्मा” — जिसे नूपुर शर्मा का प्रतीकात्मक रूप माना जा रहा है — के नाम को बदलना शामिल है।
इसके अलावा उनके डायलॉग “मैंने तो वही कहा है जो उनके धर्म ग्रंथों में लिखा है” को भी हटाने का सुझाव दिया गया है।
समिति ने बलूची समुदाय को लेकर बोले गए तीन संवादों को भी आपत्तिजनक माना है और उन्हें हटाने की सिफारिश की है, जैसे: “हाफिज, बलूची कभी वफादार नहीं होता” और “मकबूल बलूची की… अरे क्या बलूची, क्या अफगानी, क्या हिंदुस्तानी, क्या पाकिस्तानी।”

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि फिल्म की दो स्तरों पर समीक्षा की गई—पहले चरण में CBFC ने 55 कट्स, और दूसरे में केंद्र ने 6 अतिरिक्त कट्स सुझाए।

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