केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक में अनब्रांडेड अनाज में शामिल चावल, दाल, आटा जैसी विभिन्न जीवनावश्यक खाद्यान्न पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने के निर्णय से छोटे मझोले व्यापारी मुश्किल में पड़ गए हैं।
निर्णय के अनुसार जीएसटी 18 जुलाई से लागू हो जाएगा.इस निर्णय से देश के छोटे और मध्यम व्यापारियों में बहुत रोष व्याप्त है.जबकि देश के प्रधानमंत्री ने कहा था कि चावल दाल आटा दूध दही जैसे विभिन्न जीवनावश्यक खाद्यानों पर जीएसटी नहीं लगेगी। ग्रेन राइस एंड ऑयलसीड्स मर्चेंट एसोसिएशन वाशी, नवी मुम्बई (ग्रोमा) के अध्यक्ष शरद कुमार मारू ने इसको केंद्र का तुगलकी फरमान बताया है और इसको वापस लेने की मांग की है नहीं तो सब व्यापारी पूरे देश मे आदोलन करेगे,मारू न कहा की देश मे 6500 मंडिया है जो कि एकजुट हो कर इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन छेड़ देंगी।
मंहगाई वैसे चरम पर है इससे और बढ़ जाएगी, छोटे व्यापारी को जीएसटी का खाता बही दुरुस्त करने के लिए अकाउंटेंट रखना पड़ेगा वो इस खर्च का बोझ नहीं उठा पाएगा, खाद्यान्न का भाव बढ़ेगा और आम आदमी पर मंहगाई का बोझ और बढ़ जायेगा,वैसे भी लोगों में महंगाई का बोझ ज्यादा बढ़ गया है. उदाहरण के रूप में तुअर दाल 6000 रुपए में है 5 प्रतिशत जीएसटी 300 रूपए और ट्रांसपोर्ट तथा अन्य खर्च मिलाकर जो भाव पड़ेगा उसको व्यापारी से लेकर आम आदमी को वहन करना बहुत मुश्किल होगा ।
वहीं नवी मुम्बई ग्रोमा के सचिव भीमजी भानुशाली ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए कहा की पूरे देश मे 5 प्रतिशत लोग ही जीएसटी देते है.बाकी 95 प्रतिशत लोग रजिस्टर्ड नहीं है वो अनब्रांडेड खाद्यान्न का व्यापार करते है उन पर अब तक तक जीएसटी लागू नहीं थी लेकिन कॉरपोरेट सेक्टर की मिली भगत से यह सब हो रहा है।
भानुशाली ने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार मुफ्त में राशन बाट रही है,दूसरी तरफ अनब्रांडेड खाद्यान्न पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाकर व्यापारियों और आम आदमी पर बहुत ज्यादा महंगाई का बोझ बढ़ा रही है.जब कि देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने खुद कहा था की चावल दाल आटा दूध दही आदि पर हम जीएसटी नहीं लगाएंगे फिर भी केंद्र सरकार ऐसा क्यों कर रही है।
ये भी पढ़ें
सामान्य शिवसैनिक मुख्यमंत्री हुआ, ठाकरे को नहीं दिखता – भातखलकर