एक नई रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 90 प्रतिशत भारतीय सीईओ का मानना है कि मौजूदा परिचालन और नए क्षेत्रों में संयुक्त उद्यमों, विलय और अधिग्रहण के जरिए निवेश व्यवसाय के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
ईवाई-पार्थेनन सीईओ आउटलुक सर्वे: ग्लोबल कॉन्फिडेंस इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सीईओ अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में राजस्व, प्रतिस्पर्धी स्थिति और लागत नियंत्रण को लेकर अधिक आश्वस्त हैं। वे यह भी मानते हैं कि टेक्नोलॉजी और एआई को अपनाने से उनकी कंपनियों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है।
सर्वे में पाया गया कि 86 प्रतिशत सीईओ उभरती हुई तकनीकों की भूमिका को पहचानते हैं और अगले 12 महीनों में इन पर निवेश करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। वहीं, 90 प्रतिशत सीईओ का मानना है कि एआई और वर्कफोर्स अपग्रेडेशन ही भविष्य के इंडस्ट्री लीडर्स की पहचान तय करेंगे।
ईवाई इंडिया के कंसल्टिंग लीडर रोहन सचदेव के अनुसार, “जो कंपनियां बदलाव को अपनाती हैं, वे अस्थिरता को विकास के अवसर में बदल सकती हैं।”रिपोर्ट से यह भी सामने आया कि भारतीय सीईओ की प्राथमिकताएं अलग-अलग क्षेत्रों में बंटी हुई हैं। लगभग 20 प्रतिशत सीईओ के लिए ग्राहक संतुष्टि और रिटेंशन सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, जिससे उनकी कंपनियां लंबे समय तक बाजार में मजबूती बनाए रख सकें। 18 प्रतिशत सीईओ कर्मचारियों के साथ बेहतर जुड़ाव और उनके रिटेंशन को प्राथमिकता दे रहे हैं, ताकि वे एक स्थिर और कुशल कार्यबल तैयार कर सकें।
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इसके अलावा, 16 प्रतिशत सीईओ का ध्यान लागत को कम करने और बचत बढ़ाने पर केंद्रित है, जिससे उनकी कंपनियां अधिक मुनाफा कमा सकें और आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें। इसी तरह, 14 प्रतिशत सीईओ का मानना है कि इनोवेशन और उत्पाद सुधार से उनके व्यवसाय को मजबूती मिलेगी, जिससे वे प्रतिस्पर्धी माहौल में आगे रह सकें।ईवाई-पार्थेनॉन इंडिया के नेशनल लीडर अनुराग गुप्ता ने कहा कि “भारत में अनुकूलनशीलता ही सबसे बड़ी ताकत है। जो संगठन बदलाव को अपनाते हैं, वे भविष्य में सफलता की नई इबारत लिख सकते हैं।”