मुंबई। भाई-बहन के पवित्र प्रेम-प्रतीक पर्व रक्षाबंधन को अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं, लेकिन बाजार में अभी तक इस त्योहार का उत्साह नजर नहीं आ रहा है। बीते बरस कोरोना ने रक्षाबंधन पर पाबंदियां लगा दी थीं। आम जनता के लिए रेल यात्रा की अनुमति नहीं थी। इससे दुकानदारों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। हालांकि, इस साल प्रतिबंधों में काफी हद तक ढील मिली है, लेकिन रक्षाबंधन पर दिए जाने वाले उपहारों की दुकानों पर ज़रा भी भीड़ नहीं दिख रही है।
ढील के बावजूद उत्साह नहीं: पिछले साल रक्षाबंधन का त्योहार ऑनलाइन मनाया गया था। ऑनलाइन लहराकर उपहार दिए गए। इस साल पाबंदियों में ढील दी गई है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि भले ही वैक्सीन की दो खुराकें लेने वालों को लोकल ट्रेन से यात्रा करने की अनुमति है, बावजूद इसके लोगों में खरीदारी के प्रति उत्साह नहीं है।
बाजार में ग्राहकी फीकी-फीकी: कोरोना संकट से पहले 2019 में रक्षाबंधन की खरीदारी 15 दिन पहले से ही शुरू हो जाया करती थी, खरीदारी के लिए भीड़ उमड़ पड़ती थी। लोग 101 से लेकर 1001 रुपए तक के तोहफे खरीदते थे। दिन भर में 60 से 80 ग्राहक उपहार खरीदने आते थे और आखिरी दो दिनों में तो यह संख्या 100 तक पहुंच जाया करती थी। लेकिन पिछले साल कोरोना केकारण 20 फीसदी भी बिक्री नहीं हुई। दादर में छोटे उपहारों के विक्रेता ताराचंद डोईफोडे ने बताया कि इस साल भी 15 से 20 फीसदी ग्राहक ही खरीदारी के लिए आ रहे हैं। पांच सौ रुपए से ज्यादा के उपहार नहीं खरीदे जा रहे। डोईफोड ने अपना यह भी अनुभव बताया कि लोगों का बजट कम हो गया है।
धंधा कम होने से कीमतों में तेजी: इस साल राखी की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। देव-राखी, जो पिछले साल 12 रुपए दर्जन थी, अब 20 रुपए हो गई है। अन्य राखी की न्यूनतम कीमत 10 रुपए थी, लेकिन अब 15 रुपए है। कारोबारियों का कहना है कि धंधा कम होने से कीमतों में तेजी आई है।
ऑनलाइन खरीदारी को तवज्जो: विभिन्न डिजिटल चैनलों के जरिए कूपन की मदद से ऑनलाइन खरीदारी की जा सकती है। कोरोना की सिर पर लटकती तलवार के चलते उपभोक्ता स्टोर पर जाने के मुकाबले ऑनलाइन खरीदारी करने को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।