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Saturday, December 6, 2025
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कोरोना का कोहराम,लाकडाउन से फिर देश में बढ़ी बेरोजगारी

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मुंबई। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लगाए जा रहे लॉकडाउन से उत्पादन घटा और बेरोजगारी बढ़ी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार, 11 अप्रैल को समाप्त हफ्ते में शहरी बेरोजागरी बढ़कर 9.81 फीसदी पर पहुंच गई है। वहीं, 28 मार्च को सप्ताह में यह 7.72 फीसदी और मार्च के पूरे महीने में यह 7.24 फीसदी थी। वहीं, इस दौरान राष्ट्रीय बेरोजगारी बढ़कर 8.58 फीसदी पर पहुंच गई है जो 28 मार्च को समाप्त सप्ताह में 6.65 फीसदी थी। इसी तरह ग्रामीण बेरोजगारी इस दौरान 6.18 फीसदी से बढ़कर 8% पर पहुंच गई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए कई राज्यों के शहरों में आंशिक लॉकडाउन लगा दिया गया है। इससे बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है। कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव शहरी रोजगार पर मार्च से ही देखने को मिल रहा है। जिसकी वजह से दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के शहरों में आंशिक लॉकडाउन या नाइट कफ्र्यू लगा दिया गया। दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में मॉल, रेस्टोरेंट, बार जैसी सार्वजनिक जगहों पर कोरोना नियमों के अनुपालन में सख्ती से शहरी रोजगार में और कमी देखने को मिली है और आने वाले दिनों में और परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कई राज्यों में कोरोना की औचक जांच के साथ कोरोना निगेटिव सर्टिफिकेट के साथ प्रवेश के नियम की वजह से पर्यटन क्षेत्र के रोजगार में भी कमी आने की संभावना है। गांवों में भी बढ़ेगी परेशानी विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा समय में ग्रामीण इलाके में रबी की फसल अच्छी होने व मनरेगा में लगातार काम मिलने से शहर के मुकाबले बेरोजगारी का स्तर कम है।

हालांकि, अगले कुछ दिनों में स्थिति बिगड़ने की आशंका है क्योंकि रबी फसल की कटाई के बाद गांव में काम की कमी होगी जो बेरोजगारी बढ़ाने का काम करेगी। कोरोना संकट के चलते 2020 में ज्यादातर प्रवासी मजदूर अपने घर लौट गए थे। लॉकडाउन में ढील के बाद अर्थव्यवस्था पटरी पर आती दिखाई, पर एक बार फिर से कोरोना के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे में लोग जॉब छोड़कर लॉकडाउन लगने से पहले ही जल्द अपने घर पहुंच जाना चाहते हैं। इससे बेरोजगारी और बढ़ने की आशंका है। कोरोना के चलते मैन्युफैक्चरिंग और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के चलते औद्योगिक उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। खाने के सामन महंगे होने से खुदरा महंगाई की दर मार्च में बढ़कर 5.52 फीसदी पर पहुंच गई। वहीं, दूसरी ओर बेरोजगारी बढ़ने से लोगों की वित्तीय स्थिति और खराब होगी।

 

 

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