देश में उपभोग और अनुपालन में मजबूती के संकेत देते हुए अक्टूबर 2025 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कलेक्शन 4.6 प्रतिशत बढ़कर ₹1.96 लाख करोड़ तक पहुंच गया। यह लगातार दसवां महीना है जब GST राजस्व ₹1.8 लाख करोड़ के स्तर से ऊपर बना हुआ है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष (FY26) के अप्रैल से अक्टूबर के बीच कुल GST कलेक्शन ₹13.89 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वित्त वर्ष (FY25) की समान अवधि के ₹12.74 लाख करोड़ की तुलना में 9 प्रतिशत अधिक है।रिफंड समायोजन के बाद, सरकार का नेट टैक्स कलेक्शन ₹1.69 लाख करोड़ रहा, जो अक्टूबर 2024 की तुलना में 0.6 प्रतिशत अधिक है।
अक्टूबर माह में दरों में कटौती और त्योहारी मांग में उछाल के कारण उपभोग में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला। सरकार का कहना है कि सितंबर 22 को किए गए GST दरों के पुनर्गठन का लाभ उपभोक्ताओं को मिला है, जिससे उत्सव के दौरान खपत बढ़ी है। सरकारी अधिकारियों का अनुमान है कि खपत में इस वर्ष 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हो सकती है, जिससे लगभग ₹20 लाख करोड़ के अतिरिक्त उपभोग की संभावना बनती है।
KPMG इंडिया के पार्टनर और नेशनल हेड (इनडायरेक्ट टैक्स) अभिषेक जैन ने कहा, “उच्च GST कलेक्शन दर्शाता है कि त्योहारी सीजन में मांग मजबूत रही है और व्यवसायों ने दर संरचना को अच्छी तरह अपनाया है। यह खपत और टैक्स अनुपालन, दोनों में सकारात्मक प्रवृत्ति का संकेत है।”
सितंबर में GST कलेक्शन 9.1 प्रतिशत बढ़कर ₹1.89 लाख करोड़ पहुंचा था। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में कुल कलेक्शन ₹5.71 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि से 7.7 प्रतिशत अधिक है। उधर, प्रत्यक्ष करों (Direct Taxes) में भी मजबूती देखी गई है। वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक (12 अक्टूबर तक) भारत का नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन ₹11.89 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.33 प्रतिशत अधिक है।
आयकर विभाग के मुताबिक, कुल ग्रॉस डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन ₹13.92 लाख करोड़ रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह ₹13.60 लाख करोड़ था। इस वृद्धि में कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन ₹4.91 लाख करोड़ से बढ़कर ₹5.02 लाख करोड़ और नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स (व्यक्तिगत एवं HUF) ₹5.94 लाख करोड़ से बढ़कर ₹6.56 लाख करोड़ रहा।
GST और डायरेक्ट टैक्स दोनों में निरंतर बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि अर्थव्यवस्था की बुनियादी स्थिति मजबूत है। विशेषज्ञों के अनुसार, कर सुधारों, अनुपालन में सुधार और उपभोक्ता मांग के संयोजन ने वित्तीय वर्ष 2026 के पहले सात महीनों में भारत की राजस्व स्थिति को स्थिर और सशक्त बनाया है।
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