भारत की पहली स्वदेशी MRI मशीन का ह्यूमन ट्रायल अक्टूबर से, मेडिकल टेक्नोलॉजी में क्रांति की तैयारी

अगर ह्यूमन ट्रायल सफल होते हैं, तो भारत MRI तकनीक विकसित करने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा। इससे न केवल महंगी विदेशी MRI मशीनों पर निर्भरता खत्म होगी, बल्कि अस्पतालों में MRI स्कैन की कीमत भी कम हो सकती है, जिससे आम जनता को सीधा लाभ मिलेगा।

भारत की पहली स्वदेशी MRI मशीन का ह्यूमन ट्रायल अक्टूबर से, मेडिकल टेक्नोलॉजी में क्रांति की तैयारी

Human trial of India's first indigenous MRI machine from October, preparations for revolution in medical technology

भारत जल्द ही मेडिकल टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता की ओर एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाने जा रहा है। देश की पहली पूरी तरह से स्वदेशी मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (MRI) मशीन का ह्यूमन ट्रायल इस साल अक्टूबर से शुरू होने की उम्मीद है। यह MRI सिस्टम न केवल विदेशी मशीनों पर निर्भरता कम करेगा, बल्कि सस्ती, सुलभ और उन्नत मेडिकल इमेजिंग तकनीक भी उपलब्ध कराएगा।

इस MRI सिस्टम को राष्ट्रीय मिशन स्वदेशी मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (iMRI) के तहत विकसित किया गया है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) प्रायोजित कर रहा है। इस मिशन का कार्यान्वयन सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (SAMEER) कर रही है।

अभी तक भारत को MRI मशीनों के लिए पूरी तरह से अमेरिका, जर्मनी और जापान जैसे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन अब यह स्वदेशी MRI सिस्टम इस स्थिति को बदल सकता है। 1.5 टेस्ला क्षमता वाली इस MRI मशीन का विकास पूरी तरह भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने किया है, जो मेड-इन-इंडिया मेडिकल उपकरणों की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

मंत्रालय के अनुसार, पशु परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं और अब ह्यूमन ट्रायल की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इस परियोजना में C-DAC (त्रिवेंद्रम और कोलकाता), IUAC (नई दिल्ली) और DSI-MIRC (बेंगलुरु) भी सहयोगी संस्थानों के रूप में शामिल हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की आरएंडडी ग्रुप कोऑर्डिनेटर, सुनीता वर्मा ने कहा, “भारत अब केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अगले एक अरब से अधिक लोगों को सस्ता और उन्नत मेडिकल समाधान देने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।” इस MRI सिस्टम में RF पावर एम्पलीफायर, हाई पावर TR स्विच, RF स्पेक्ट्रोमीटर, RF कॉइल्स, कंट्रोल यूनिट, iMRI सॉफ्टवेयर और अन्य प्रमुख टेक्नोलॉजी पूरी तरह से भारत में डिजाइन और विकसित की गई हैं।

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यह MRI सिस्टम एम्स और SAMEER के बीच हुए समझौता ज्ञापन (MoU) का हिस्सा है। इस साझेदारी के तहत हाई-फील्ड और लो-फील्ड MRI सिस्टम के विकास और मेडिकल अनुप्रयोगों के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी व माइक्रोवेव तकनीक पर रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा।

एम्स, दिल्ली के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने कहा, “यह दिखाने का समय है कि भारत भी अत्याधुनिक मेडिकल उपकरण विकसित कर सकता है। हमें वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि हम विश्वस्तरीय स्वास्थ्य तकनीक बना सकें।”

अगर ह्यूमन ट्रायल सफल होते हैं, तो भारत MRI तकनीक विकसित करने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा। इससे न केवल महंगी विदेशी MRI मशीनों पर निर्भरता खत्म होगी, बल्कि अस्पतालों में MRI स्कैन की कीमत भी कम हो सकती है, जिससे आम जनता को सीधा लाभ मिलेगा। यह MRI सिस्टम भारतीय हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह भारत को मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वैश्विक लीडर बनने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

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