भारत की चीनी मिलों के लिए आगामी वित्तीय वर्ष 2026 आशाजनक नजर आ रहा है। बुधवार को जारी ICRA की रिपोर्ट के अनुसार, देश में इंटीग्रेटेड चीनी मिलों का राजस्व 6 से 8 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। यह वृद्धि मजबूत घरेलू चीनी कीमतों, बिक्री मात्रा में बढ़ोतरी और डिस्टिलरी उत्पादन में इजाफे जैसे कारकों पर आधारित होगी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सामान्य से बेहतर मानसून के चलते महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे बड़े उत्पादक राज्यों में गन्ने की खेती का रकबा बढ़ने की संभावना है। इसके परिणामस्वरूप, देश का कुल चीनी उत्पादन 2025 के 29.6 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) से 2026 में 34.0 MMT तक पहुंच सकता है। इथेनॉल के लिए अनुमानित 4 MMT डायवर्जन को ध्यान में रखते हुए, शुद्ध चीनी उत्पादन 2026 में 30.0 MMT होने का अनुमान है, जो 2025 में 26.2 MMT था।
हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर इथेनॉल की कीमतें स्थिर बनी रहती हैं, तो परिचालन लाभ मार्जिन में केवल मामूली सुधार देखने को मिलेगा। इसके बावजूद, सरकार की ओर से इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (EBP) और अन्य नीतिगत समर्थन के चलते, ICRA ने चीनी क्षेत्र के लिए ‘स्थिर’ दृष्टिकोण बनाए रखा है।
ICRA के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीशकुमार कदम के अनुसार, घरेलू चीनी कीमतें जो वर्तमान में 39 से 41 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच हैं, अगले सीजन की शुरुआत तक स्थिर रहने की उम्मीद है, जिससे मिलों की लाभप्रदता को बल मिलेगा।
रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि 30 सितंबर, 2025 तक देश का क्लोजिंग शुगर स्टॉक लगभग 52 लाख मीट्रिक टन होगा, जो कि 2024 में 80 लाख मीट्रिक टन था। यदि घरेलू खपत और निर्यात कोटा वित्त वर्ष 2025 के समान रहता है, तो 2026 तक यह स्टॉक बढ़कर 63 लाख मीट्रिक टन (लगभग 2.5 महीने की खपत) हो सकता है।
कदम ने यह भी बताया कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग लक्ष्य हाल ही में हासिल कर लिया गया है और अब सरकार इस लक्ष्य को और आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। इससे डिस्टिलरी उद्योग को और अधिक लाभ मिल सकता है।
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