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Tuesday, April 1, 2025
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भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 100 बिलियन डॉलर पार करेगा: केंद्र

हम एक ऐसा इकोसिस्टम बना रहे हैं जो सुनिश्चित करेगा कि भारत इस तकनीकी क्रांति में सबसे आगे रहे।

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भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग तेज़ी से बढ़ रहा है और सरकार के अनुमान के मुताबिक, 2030 तक यह बाज़ार 100 बिलियन डॉलर को पार कर जाएगा। वर्तमान में भारत की सेमीकंडक्टर की मांग 45-50 बिलियन डॉलर के बीच है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसके दोगुना होने की संभावना है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सचिव एस. कृष्णन ने ‘नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स रोड शो’ में कहा कि भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को आगे बढ़ाने के लिए नवाचार और प्रतिभा विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत में सेमीकंडक्टर डिज़ाइन में वैश्विक वर्कफोर्स का करीब 20 प्रतिशत योगदान है और यह सेक्टर देश की तकनीकी प्रगति में अहम भूमिका निभा रहा है।

सेमीकंडक्टर उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए सरकार कई पहल कर रही है। कृष्णन ने बताया कि भारत के नैनो सेंटर से 85,000 पेशेवरों को सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए तैयार किया जा रहा है। सरकार की ‘चिप्स टू स्टार्टअप’ (C2S) योजना के तहत 113 शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्टअप्स में इंजीनियरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि भारत का तकनीकी इकोसिस्टम और मजबूत हो सके।

इसके अलावा, सरकार सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण के लिए कई प्रोत्साहन योजनाएं चला रही है, जिनमें उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना भी शामिल है। इस योजना के तहत कंपनियों को वित्तीय सहायता दी जा रही है, जिससे देश में चिप निर्माण को बढ़ावा मिल सके।

भारत के लिए क्या होगा फायदा?

विशेषज्ञों का मानना है कि सेमीकंडक्टर क्षेत्र में यह तेज़ी भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगी और तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगी। इस सेक्टर की बढ़त के कारण न केवल निवेश में इज़ाफा होगा, बल्कि रोज़गार के भी नए अवसर पैदा होंगे।

सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में भारत सेमीकंडक्टर उत्पादन और डिज़ाइन का वैश्विक हब बने। इसके लिए उद्योग और शिक्षाविदों के बीच सहयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी अभिषेक सिंह ने कहा, “हम एक ऐसा इकोसिस्टम बना रहे हैं जो सुनिश्चित करेगा कि भारत इस तकनीकी क्रांति में सबसे आगे रहे।”

देश में तेज़ी से बढ़ते डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर की मांग को पूरा करने के लिए सेमीकंडक्टर निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि भारत इस लक्ष्य को कितनी जल्दी हासिल कर पाता है।

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