28 C
Mumbai
Thursday, December 11, 2025
होमन्यूज़ अपडेटभारत बंद: 9 जुलाई को प्रमुख यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से बैंकिंग...

भारत बंद: 9 जुलाई को प्रमुख यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से बैंकिंग सेवाएं ठप होने की आशंका!

 बैंक ऑफ बड़ौदा ने दी चेतावनी

Google News Follow

Related

सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के कारण बुधवार, 9 जुलाई को देशभर में बैंकिंग सेवाएं बाधित हो सकती हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा ने इस बाबत एक्सचेंज फाइलिंग जारी कर जानकारी दी है कि प्रमुख बैंक यूनियनों के हड़ताल में शामिल होने की संभावना है, जिससे शाखाओं और कार्यालयों के सामान्य कामकाज पर असर पड़ सकता है।

बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा है कि वह अपने नियमित संचालन को जारी रखने की पूरी कोशिश करेगा, लेकिन हड़ताल की वजह से सेवाओं में व्यवधान की आशंका है। यह चेतावनी ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉईज एसोसिएशन (AIBEA), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA) और बैंक एम्प्लॉई फेडरेशन ऑफ इंडिया (BEFI) द्वारा दिए गए हड़ताल के नोटिस के बाद सामने आई है।

यह हड़ताल सिर्फ बैंकिंग सेक्टर तक सीमित नहीं है। देशभर में पब्लिक सेक्टर के अन्य विभागों जैसे इंश्योरेंस, पोस्टल और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में काम करने वाले कुल 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी इस भारत बंद का हिस्सा बन सकते हैं। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगी संगठनों ने इस बंद का आह्वान किया है।

हड़ताल का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार की “कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों”, श्रम कानूनों में किए गए हालिया बदलावों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ विरोध जताना है। यूनियनों ने आरोप लगाया है कि सरकार लगातार श्रमिकों के अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है।

हड़ताल करने वाली यूनियनों की प्रमुख मांगों में सरकार से यह अपेक्षा शामिल है कि वह सभी सरकारी विभागों में रिक्त स्वीकृत पदों को शीघ्रता से भरे, जिससे बेरोजगारी की समस्या को कम किया जा सके। इसके साथ ही वे मनरेगा योजना के कार्यदिवसों को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर अधिक मिल सकें।

यूनियन का यह भी कहना है कि शहरी क्षेत्रों के लिए भी मनरेगा जैसी कोई योजना लागू की जाए, जिससे शहरों में रहने वाले असंगठित मजदूरों को भी लाभ मिल सके। इसके अतिरिक्त, वेतन और भत्तों में सुधार की मांग भी उठाई गई है, ताकि महंगाई को देखते हुए कर्मचारियों की आय में संतुलन आ सके।

ट्रेड यूनियनें सरकार से यह भी चाहती हैं कि वह रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (ELI) को प्रभावी रूप से लागू करे और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाए, जिससे कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा बनी रहे। गौरतलब है कि यह हड़ताल पहले मई महीने के लिए तय थी, लेकिन कुछ राष्ट्रीय घटनाओं के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह हड़ताल व्यापक रूप से सफल रही, तो न केवल बैंकिंग, बल्कि बीमा, डाक सेवाएं और निर्माण कार्य जैसे कई जरूरी सेवाओं पर सीधा असर पड़ सकता है। इससे आम नागरिकों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। अब निगाहें इस बात पर हैं कि सरकार और यूनियन के बीच किसी तरह की बातचीत होती है या बुधवार (9 जुलाई) को देशव्यापी ठहराव देखने को मिलता है।

यह भी पढ़ें:

“कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने किया राष्ट्रपति मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति कोविंद का अपमान”

गोपाल खेमका हत्या साजिश: कारोबारी अशोक साव पटना में गिरफ्तार!

तेजस्वी यादव ने लगाए ‘शहाबुद्दीन जी अमर रहें’ के नारे, वीडियो वायरल, आरजेडी पर उठे सवाल!

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

151,691फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
284,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें