बैंकिंग सिस्टम में चल रही लिक्विडिटी की कमी को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 10 बिलियन डॉलर की तीन-वर्षीय डॉलर/रुपया खरीद/बिक्री स्वैप नीलामी का फैसला लिया है। इस नीलामी से सिस्टम में पर्याप्त मात्रा में लिक्विडिटी आने की उम्मीद है, जिसका अनुमान लगभग 870 बिलियन रुपये है। RBI का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब बैंकिंग सिस्टम लगभग 1.7 ट्रिलियन रुपये की लिक्विडिटी की कमी से जूझ रहा है, ऐसी स्थिति जो वित्तीय बाजारों के सुचारू संचालन को प्रभावित कर रही है और मौद्रिक नीति के प्रभावी प्रसारण में बाधा डाल रही है।
स्वैप नीलामी बैंकिंग सिस्टम को स्थिर करने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है, जो हाल के महीनों में लगातार तनाव का सामना कर रही है। इस कदम का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता बनी रहे और लोन के प्रवाह में सुधार हो इस लिहाज़ से फाइनैंशियल इंस्टीटूशन्स की लिक्विडिटी आवश्यकताओं को प्रबंधित करने की क्षमता को बढ़ाना है। लिक्विडिटी का यह प्रवाह तीन साल के लिए होगा, जिसमें केंद्रीय बैंक नीलामी में भाग लेने वालों को रुपये के बदले विदेशी मुद्रा की पेशकश करेगा।
RBI द्वारा यह हस्तक्षेप सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि बैंकों के पास प्रभावी रूप से उधार देने के लिए आवश्यक लिक्विडिटी है, जिससे व्यवसायों और व्यक्तियों को सहायता मिलेगी। यह नई पहल पिछले विदेशी मुद्रा स्वैप ऑपरेशन के बाद की गई है, जिसने सिस्टम में $5.1 बिलियन का निवेश किया था। जबकि पहले के हस्तक्षेप ने कुछ तरलता दबावों को कम करने में मदद की, लेकिन यह अंतर्निहित मुद्दों को पूरी तरह से हल करने के लिए पर्याप्त नहीं था, क्योंकि तरलता घाटा लगातार बढ़ रहा है। विश्लेषक वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले नकदी की कमी को दूर करने के लिए अतिरिक्त उपायों की मांग कर रहे हैं।
मौजूदा तीन वर्षीय स्वैप की विस्तारित परिपक्वता यह दर्शाती है कि RBI नकदी की समस्या का दीर्घकालिक समाधान प्रदान करने का इरादा रखता है। इस कदम से बैंकिंग प्रणाली को विस्तारित अवधि में अधिक स्थिरता प्रदान करने की उम्मीद है, जिससे केंद्रीय बैंक को आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के अपने चल रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में भविष्य में दरों में कटौती करने की अनुमति मिलेगी।
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बता दें की नकदी की कमी के कारण बैंकिंग के प्रतिदीन हस्तांतरण पर काफी दबाव पड़ रहा है और RBI के इस नवीनतम फैसले को वित्तीय बाजारों की स्थिरता सुनिश्चित करने में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जा रहा है। बड़े पैमाने पर लिक्विडिटी के प्रवाह से ऋण की उपलब्धता में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे प्रमुख क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधी को बढ़ावा मिलेगा। आपको बता दें की RBI यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि वित्तीय संस्थान सुचारू रूप से काम करना जारी रख सकें, जो निवेशकों का विश्वास बनाए रखने और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।