भारत में पुरानी कारों का बाजार तेजी से फलफूल रहा है और इस वित्त वर्ष में इसके 60 लाख यूनिट का आंकड़ा पार करने की उम्मीद है। क्रिसिल रेटिंग्स की नई रिपोर्ट के अनुसार, वैल्यू को प्राथमिकता देने वाले उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या, डिजिटल प्लेटफॉर्म की पहुंच और आसान फंडिंग जैसे कारकों ने पुरानी कारों की मांग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पुरानी कारों की बिक्री सालाना 8-10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जो कि नई कारों की बिक्री की दर से दोगुनी से भी अधिक है। यह ट्रेंड दर्शाता है कि अब उपभोक्ता व्यवहार में बड़ा बदलाव आ रहा है। जहां पहले हर नई कार पर एक पुरानी कार बिकती थी, वहीं अब यह अनुपात बढ़कर 1.4 तक पहुंच चुका है।
क्रिसिल के आंकड़ों के अनुसार, पुरानी कारों का बाजार मूल्य अब करीब 4 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो नई कारों के बाजार मूल्य के लगभग बराबर है। क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा कि पुरानी कारों और नई कारों की बिक्री के बीच बढ़ता अंतर खरीदारों की सोच में स्थायी बदलाव का संकेत देता है। उन्होंने बताया कि अब उपभोक्ता अपने वाहनों को पहले की तुलना में तेजी से बदल रहे हैं, जिससे पुरानी कारों की औसत आयु घटकर 3.7 वर्ष तक पहुंचने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म की पारदर्शिता और सुविधा ने लोगों का विश्वास जीता है, जिससे पुरानी कारें खरीदने का चलन बढ़ा है। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर और रेयर-अर्थ मिनरल की कमी से नई कारों की डिलीवरी में हो रही देरी ने भी खरीदारों को पुरानी कारों की ओर मोड़ा है। क्रिसिल ने छह प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का विश्लेषण किया, जो संगठित सेक्टर की लगभग आधी हिस्सेदारी रखते हैं। इन प्लेटफॉर्म की भारत में कुल पुरानी कारों की बिक्री में करीब एक-तिहाई हिस्सेदारी है, और वे तेजी से विस्तार कर रहे हैं।
क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक पूनम उपाध्याय ने कहा कि फिलहाल उच्च लागत के कारण कंपनियों पर मार्जिन का दबाव है, लेकिन गहन निरीक्षण, घर-घर डिलीवरी, बीमा और फाइनेंस जैसी एकीकृत सेवाएं इस क्षेत्र की लाभप्रदता में सुधार करेंगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि निरंतर मांग और लागत नियंत्रण के चलते इस क्षेत्र की अधिकांश कंपनियां जल्द ही परिचालन स्तर पर मुनाफे में आ जाएंगी।
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