2017 में कोच्चि में एक लोकप्रिय मलयालम अभिनेत्री के साथ अपहरण और बलात्कार के हाई-प्रोफाइल मामले में सोमवार (8 दिसंबर)को एक बड़ा फैसला आया है। एर्नाकुलम जिला एवं प्रधान सत्र न्यायालय ने अभिनेता दिलीप को सभी आरोपों से बरी कर दिया, जबकि पहले छह आरोपियों को षड्यंत्र, अपहरण, हमला और सामूहिक बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में दोषी करार दिया गया।
आठ साल तक चले इस मुकदमे में एर्नाकुलम जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हनी एम वरगीस ने सोमवार(8 दिसंबर) सुबह 11 बजे फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष दिलीप की भूमिका को साबित करने में असफल रहा, जिसके चलते उन्हें आपराधिक साजिश और सबूत नष्ट करने के आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
इसके विपरीत, आरोपित नंबर एक से छह, जिनमें प्रमुख नामों में पल्सर सुनी, मार्टिन एंटनी, मणिकंदन बी, वीजे़श वीपी और अन्य शामिल को आपराधिक साजिश, अपहरण, गलत तरीके से बंधक बनाना, शीलभंग की नीयत से हमला, कपड़े उतारने की कोशिश और गैंगरेप जैसे गंभीर अपराधों में दोषी करार दिया गया। उनकी सज़ा 12 दिसंबर को सुनाई जाएगी।
दरअसल मामला 17 फरवरी 2017 का है, जब कोच्चि में एक नामी मलयालम अभिनेत्री को उनकी कार में लगभग दो घंटे तक कथित रूप से बंधक बनाकर उसके साथ बलात्कार किया गया। कुल 10 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चला, जिन पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधान भी लगाए गए थे।
इनमें मलयालम अभिनेता दिलीप आरोपी नंबर 8 थे। उन्हें अतिरिक्त रूप से सबूत नष्ट करने के आरोप का भी सामना करना पड़ा। पुलिस ने पहले अप्रैल 2017 में चार्जशीट दाखिल की थी और कुछ महीनों बाद दिलीप को गिरफ्तार किया था। हालांकि उन्हें अक्टूबर 2017 में जमानत मिल गई। साल के अंत में पूरक चार्जशीट दायर की गई जबकि कई आरोपी या तो डिस्चार्ज हुए या सरकारी गवाह बन गए।
इस मामले में जांच प्रक्रिया कई बार विवादों में घिरी। 2018 में दिलीप ने सीबीआई जांच की मांग की, लेकिन अदालत ने कहा कि कोई आरोपी अपनी पसंद की एजेंसी नहीं चुन सकता। 2021 में निर्देशक बालाचंद्र कुमार ने दावा किया कि दिलीप के पास हमले के दृश्य मौजूद हैं, जिसके बाद और जांच का आदेश हुआ। 2022 में कोर्ट कस्टडी में रखे गए मेमोरी कार्ड की कथित अवैध पहुंच को लेकर हाई कोर्ट ने तथ्य-जांच और नए दिशानिर्देश जारी किए।
इस लंबी सुनवाई में 261 गवाहों को पेश किया गया, जिनमें फिल्म जगत के कई नाम शामिल थे और बहुत से गवाह मुकर भी गए। जांच अधिकारी का बयान ही 109 दिनों तक चला, जबकि बचाव पक्ष के दो गवाहों की भी गवाही हुई। मुकदमे के दौरान दो अहम गवाह पूर्व विधायक पीटी थॉमस और निर्देशक बालाचंद्र कुमार की मृत्यु हो गई।
फैसले के बाद यह मामला एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है, क्योंकि दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग में इसे सबसे संवेदनशील और जटिल मामलों में से एक माना जाता है। अदालत के इस निर्णय के बाद अब दोषी ठहराए गए आरोपियों की सज़ा अगले हफ्ते घोषित होगी, जबकि दिलीप को बरी होने से बड़ी राहत मिली है।
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