एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने अल फलाह ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में मंगलवार (18 नवंबर) की शाम गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से पहले ईडी की कई टीमों ने दिल्ली और एनसीआर में अल फलाह ग्रुप और उसकी संबद्ध संस्थाओं से जुड़े 25 ठिकानों पर व्यापक छापेमारी की थी। यह ग्रुप हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी का संचालन करता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने आधी रात अपने कैंप ऑफिस से आदेश जारी कर सिद्दीकी को 13 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अदालत के आदेश में दर्ज है कि बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता दावों और विश्वविद्यालय से जुड़े फंड के दुरुपयोग के मामलों में जाँच के दौरान उनके खिलाफ ‘उचित आधार’ पाए गए हैं। ईडी ने अदालत में कहा कि उसके पास “धोखे, भ्रामक दावों और अपराध से अर्जित धन के प्रवाह” के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। एजेंसी के एक प्रवक्ता ने बताया, “आज की गिरफ्तारी सर्च ऑपरेशन के दौरान जुटाए गए दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों के विस्तृत विश्लेषण के बाद हुई है।”
ईडी ने कहा कि “सिद्दीकी, ट्रस्ट और उसकी गतिविधियों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण रखते हैं, जिसका प्रमाण कई दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों से मिलता है। ट्रस्टीज से नकदी की बरामदगी, परिवार से जुड़े उपक्रमों में फंड का डायवर्जन, और विभिन्न लेयरिंग पैटर्न ये सभी मिलकर अपराध से अर्जित धन की साज़िश को स्थापित करते हैं… इसी आधार पर उन्हें अदालत में पेश कर रिमांड मांगी गई,”
फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी पहले से ही जांच के दायरे में थी, क्योंकि यहां कार्यरत कई डॉक्टरों के जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े एक आतंकी मॉड्यूल द्वारा लाल किला धमाका किया। ईडी ने अपनी जांच दिल्ली पुलिस की उन दो एफआईआर के आधार पर शुरू की, जिनमें विश्वविद्यालय पर एनएएसी (NAAC) मान्यता को लेकर फर्जी दावे करने का आरोप था। एजेंसी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने छात्रों, अभिभावकों और अन्य हितधारकों को गुमराह करने के लिए गलत तरीके से NAAC की मान्यता और यूजीसी एक्ट की धारा 12(B) के तहत मान्यता प्राप्त होने का दावा किया।
यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी केवल UGC Act, 1956 की धारा 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में सूचीबद्ध है, और उसने कभी भी 12(B) मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया। इसलिए यह उस धारा के तहत मिलने वाले अनुदानों के लिए पात्र नहीं है।
ईडी के अनुसार, अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 8 सितंबर 1995 के पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट डीड के तहत हुई थी, 1990 के दशक से लेकर अब तक जिस तेज़ी से एक बड़े शैक्षणिक समूह में तब्दील हुआ, वह उसके उपलब्ध वित्तीय रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता। जवाद सिद्दीकी उसी समय से ट्रस्टी रहे हैं और मैनेजिंग ट्रस्टी के रूप में नियुक्त थे। “विश्वविद्यालय और कॉलेज समेत सभी शैक्षणिक संस्थाएँ अंततः इसी ट्रस्ट के अधीन हैं, जिसका वास्तविक नियंत्रण जवाद अहमद सिद्दीकी के हाथ में है। समूह की तेज़ वृद्धि उसके वित्तीय ढांचे से मेल नहीं खाती,” ईडी ने कहा।
जवाद सिद्दीकी की गिरफ्तारी से दो दिन पहले उनके भाई हमूद सिद्दीकी को भी मध्य प्रदेश के महू पुलिस ने हैदराबाद से गिरफ्तार किया था। वह करीब 25 साल से फरार था। हमूद पर महू में एक चिटफंड और निवेश योजना चलाने का आरोप है, जिसमें वह लोगों को पैसा दोगुना करने का झांसा देकर कई करोड़ रुपये लेकर गायब हो गया था। उसके पीड़ितों में व्यापारी के साथ-साथ मध्यम वर्गीय वेतनभोगी परिवार भी शामिल बताए जाते हैं। ईडी का कहना है कि अल फलाह ग्रुप से जुड़े मामलों की जांच आगे भी जारी रहेगी और कई महत्वपूर्ण खुलासे अभी बाकी हैं।
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