कुछ दिनों पहले पुणे में एक नाबालिग ने देर रात नशे की हालत में तेजी से पोर्श कार चलाते हुए बाइक से जाते २ आईटी इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा को कार से उड़ाने की वारदात सामने आयी थी। इस हादसे में दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद नशे की हालत में दिख रहे नाबालिग को भीड़ ने पुलिस के हवाले कर दिया। इस केस के जाँच पड़ताल के दौरान नाबालिग और उसके व्यवसायी पिता ने धांधली करने का प्रकरण भी सामने आया, जिसमें पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी किया|
इस केस ने पुरे देश का ध्यान तब खिंचा जब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्य एल.एन.धनावड़े ने आरोपी को वारदात के मात्र 15 घंटे में बेल देते हुए 300 शब्दों में इस केस पर निबंध लिखने की सजा दी। देश भर में इस फैसले पर सवाल उठे तो किशोर न्याय बोर्ड ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए नाबालिग को संप्रेक्षण गृह भेज दिया था।
इस प्रकरण पर सरकार की आँखे खुलते ही प्रशासन को आदेश देते हुए नाबालिग को नशे की व्यवस्था करने वाले, देर रात तक खुले रहने वाले सभी पब और बार पर नकेल कसी। साथ ही साथ महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने जनता से यह भी वादा किया की आरोपी का केस स्पेशल प्रोविजन के तहत हम वयस्क वर्ग के नियम अनुसार ही लड़ेंगे।
इस केस के संदर्भ में मुंबई उच्च न्यायालय की भारती डांगरे और मंजूषा देशपांडे की बेंच ने कहा की,”इस संवेदनशील वारदात का असर नाबालिग पर हुआ है”, इसी के साथ मुंबई उच्च न्यायालय ने भी आदेश दिया है कि आरोपी को तुरंत रिहा किया जाए। नाबालिग की चाची की याचिका पर उसका पालन-पोषण करने की जिम्मेदारी उसे दे दी गई है|
फ़िलहाल उसके माता-पिता और दादा जेल में है। उच्च न्यायलय का कहना है की, हमारे हाथ कानून से बंधे है। कानून का उल्लंघन करने के बाद किसी भी बच्चे के साथ वयस्कों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता।कोर्ट ने आगे अपने आदेश में जुवनाइल जस्टिस बोर्ड को नाबालिग के साइकोलॉजी सेशन को जारी रखने के आदेश दिए है।
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