वाराणसी से जुड़े एक पुराने भ्रष्टाचार मामले में नौ साल बाद आखिरकार अदालत का फैसला आ गया। लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सीनियर असिस्टेंट (क्लर्क) राजेश कुमार को रिश्वत लेने का दोषी मानते हुए शुक्रवार को 5 साल की कैद और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। यह फैसला उस शिकायत के बाद आया, जिसमें एक कर्मचारी के बेटे से डेथ बेनिफिट्स जारी करने के नाम पर बड़ी रकम की मांग की गई थी।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि अदालत ने राजेश कुमार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी ठहराया। यह मामला 2 जून 2016 को दर्ज हुआ था, जब बीएचयू में स्वीपर के पद पर कार्यरत कल्लू की नौकरी के दौरान ही मृत्यु हो गई थी। उनके बेटे ने जब डेथ बेनिफिट्स के लिए आवेदन किया, तो क्लर्क राजेश कुमार ने उससे 75 हजार रुपए की रिश्वत मांगी।
शिकायत मिलने पर सीबीआई ने कार्रवाई की और आरोपी को रंगे हाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया। उसी दौरान राजेश कुमार शिकायतकर्ता से 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया गया। इस कार्रवाई ने उसके खिलाफ ठोस सबूत पेश कर दिए।
गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने पूरे मामले की गहन जांच की और 30 जून 2016 को अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने गवाहों, दस्तावेजों और भौतिक साक्ष्यों के आधार पर यह साबित किया कि आरोपी ने पद का दुरुपयोग करते हुए पीड़ित परिवार से अवैध लाभ लेने की कोशिश की।
विशेष अदालत के न्यायाधीश ने सभी तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करने के बाद शुक्रवार को फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि राजेश कुमार जैसे दोषी अधिकारियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि सरकारी तंत्र में ईमानदारी और पारदर्शिता बनी रहे।
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