झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निशाने पर है। शुक्रवार(4अप्रैल) सुबह से ही ईडी की टीमों ने रांची सहित राज्यभर में 21 स्थानों पर एक साथ छापेमारी शुरू की। यह कार्रवाई राजधानी रांची के अशोक नगर, पीपी कंपाउंड, एदलहातु, बरियातू, लालपुर और चिरौंदी जैसे प्रमुख इलाकों में की जा रही है, जहां भारी सुरक्षा बल की तैनाती के बीच ईडी अधिकारी तलाशी अभियान चला रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, जिन ठिकानों पर छापेमारी की गई है, वे आयुष्मान भारत योजना के फंड के कथित दुरुपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त पाए गए हैं। बताया गया है कि एक प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के दफ्तर में भी तलाशी जारी है, जो इस योजना के तहत क्लेम प्रक्रिया में शामिल थी।
गौरतलब है कि यह कार्रवाई भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की उस रिपोर्ट के बाद तेज हुई है, जिसमें झारखंड में आयुष्मान योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा किया गया था। रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य के कई अस्पतालों ने मृत लोगों के नाम पर इलाज दिखाकर फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपये का भुगतान सरकार से वसूला। वहीं, कई मामलों में मरीजों को बिना इलाज के ही डिस्चार्ज कर दिया गया, फिर भी भुगतान लिया गया।
इस रिपोर्ट के आधार पर ईडी ने हाल ही में ईसीआईआर (Enforcement Case Information Report) दर्ज कर जांच शुरू की। झारखंड स्टेट हेल्थ सोसायटी और स्वास्थ्य विभाग से संबंधित रिकॉर्ड और एफआईआर की प्रतियां मंगाई गई थीं, जिनमें कुछ अस्पतालों के खिलाफ गड़बड़ी के स्पष्ट प्रमाण मिले।
झारखंड में वर्तमान में करीब 750 से ज्यादा अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से सूचीबद्ध हैं। इनमें से कई के खिलाफ गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें मिल चुकी हैं। ईडी की यह छापेमारी न सिर्फ इन आरोपों की पुष्टि के लिए अहम मानी जा रही है, बल्कि इससे भविष्य में हेल्थ स्कीम्स में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत पर भी सवाल खड़े हुए हैं।
ईडी के अधिकारियों ने इस मामले में बड़े स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत दिए हैं और जल्द ही कुछ गिरफ्तारी भी संभव मानी जा रही है। वहीं राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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