कोडीन-आधारित कफ सिरप की अवैध तस्करी के बड़े नेटवर्क पर शिकंजा कसते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच को उत्तर प्रदेश से आगे बढ़ाकर मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड तक विस्तारित कर दिया है। अनुमानित बहु-करोड़ रुपये के इस रैकेट में फार्मा कंपनियों से लेकर सप्लाई चेन से जुड़े कई खिलाड़ियों की भूमिका सामने आ रही है। एजेंसी ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) से अब तक की गई कार्रवाई का पूरा रिकॉर्ड भी मांगा है।
एजेंसी के अनुसार, यूपी के कई जिलों में दर्ज 30 से अधिक FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच अब उन कंपनियों तक पहुंच चुकी है जो कोडीन-आधारित सिरप का उत्पादन करती हैं, साथ ही उन निजी सप्लायरों तक भी जिन्होंने कथित तौर पर अवैध डाइवर्जन और तस्करी को संभव बनाया। ईडी FSDA के उन अधिकारियों की पहचान भी कर रही है जिन पर रैकेट को संरक्षण देने का संदेह है।
मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल को आठ दिसंबर को पूछताछ के लिए तलब किया गया है। नोटिस बुधवार को उनकी वाराणसी स्थित आवास पर चस्पा किया गया। बताया जा रहा है कि जायसवाल की कंपनी सैली ट्रेडर्स कई राज्यों से सिरप की भारी मात्रा में खरीद कर नेपाल और बांग्लादेश की ओर डाइवर्ट करने में अहम भूमिका निभा रही थी।
जांच में यह भी सामने आया है कि 118 से अधिक एफआईआर यूपी के कई जिलों में दर्ज की गई हैं। वाराणसी में 38, जौनपुर में 16, कानपुर नगर में आठ, गाज़ीपुर में छह, लखीमपुर खीरी में चार और लखनऊ में तीन मामले सामने आए हैं। कई जिलों में खोखली फर्मों (shell firms) का इस्तेमाल कर फर्जी बिलिंग की गई, जिससे करोड़ों का सिरप बिना रिकॉर्ड के बाहर निकाला जा सका।
प्रारंभिक निष्कर्ष बताते हैं कि अवैध खेप हिमाचल प्रदेश की दो, उत्तराखंड की तीन, और हरियाणा व झारखंड की एक-एक कंपनी से खरीदी गई थी। नेपाल को भेजी जाने वाली खेप लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी और बहराइच के रास्ते निकलती थी, जबकि वाराणसी और गाज़ियाबाद की फर्में बांग्लादेश की दिशा में तस्करी कर रही थीं।
ईडी जल्द ही जेल में बंद आरोपियों अलोक सिंह और अमित सिंह टाटा से पूछताछ करेगी। दोनों पर जायसवाल के साथ मिलकर तस्करी चैनल संचालित करने का आरोप है। दो चार्टर्ड अकाउंटेंट तुषार और विष्णु अग्रवाल भी जांच के दायरे में हैं, जिन पर खातों में हेरफेर कर काले धन को छिपाने का आरोप है।
उधर, एसटीएफ विकास सिंह नरवे की तलाश में दबिशें दे रही है। आज़मगढ़ का रहने वाला नरवे पांच दिनों से फरार है और हर बार पुलिस पहुंचने से ठीक पहले भाग निकल रहा है। उस पर राजनीतिक संपर्क बढ़ाने और रैकेट का समन्वयक बनने के आरोप हैं। आशंका है कि वह विदेश, खासकर दुबई, भाग सकता है। ईडी और एसटीएफ का मानना है कि यह नेटवर्क काफी बड़ा है और वित्तीय लेनदेन की परतें खुलने के बाद कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
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