मिड डे मील में अनुसूचित जाति के बच्चों से भेदभाव पर आयोग ने मांगी रिपोर्ट

दलित बच्चों को अलग बैठाकर मिलता है मिड डे मील का खाना

मिड डे मील में अनुसूचित जाति के बच्चों से भेदभाव पर आयोग ने मांगी रिपोर्ट

जालोर में दलित छात्र की अध्यापक द्वारा पिटाई से मौत पर गहलोत सरकार पहले से ही घिरी हुई है। इसके बाद अब राजस्थान के स्कूलों में मिड डे मील परोसने में कथित भेदभाव की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को मिली है। आरोप यह भी है कि मिड डे मील के लिए खाना बनवाने का काम अनुसूचित जाति के लोगों से नहीं लिया जाता है।

बता दें कि कुछ दिन पहले आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ऑल इंडिया एससी-एसटी वेलफेयर एसोसिएशन फेडरेशन के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि राजस्थान में स्कूलों में भोजन के दौरान अनुसूचित जाति के बच्चों को अलग बैठाया जाता हैं। जिसके बाद अध्यक्ष ने शिकायत के तर्ज पर स्कूलों की लिस्ट के साथ ही उनकी रिपोर्ट मांगी है।

जिन स्कूलों में मिड डे मील के लिए अनुसूचित जाति के लोगों से खाना बनवाने का काम नहीं लिया जा रहा है, इसकी सच्चाई जानने के लिए रिपोर्ट मांगी गई है। विजय सांपला का कहना है कि सरकारी स्कूलों में इस तरह कि भेदभाव नीति वास्तव में बहुत निंदनीय है। आयोग ने कहा हैं कि सरकारी स्कूलों को मान्यता देते समय उस स्कूल प्रबंधन से अनुसूचित जाति के प्रति जागरूकता का शपथ पत्र भी लेना चाहिए। स्कूलों में भेदभाव नहीं होना चाहिए और शिक्षकों को भी इस संबंध में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। ताकि दलितों पर होनेवाले अत्याचार ना हो।

अनुसूचित जनजाति के अध्यक्ष ने कहा कि राजस्थान में दलितों पर अत्याचार की कई घटनाएं आयोग के सामने आती रहती है। जिस पर राजस्थान सरकार और पुलिस को नोटिस जारी करने के बाद भी इसका जवाब नहीं मिलता है।

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