दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए ब्लास्ट मामले में जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, नए-नए खुलासे हो रहे हैं। सामने आया है कि ब्लास्ट लाल किला ब्लास्ट को अंजाम देने वाला डॉक्टर उमर नबी भट जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी था और राज्य के NEET-PG टॉपर्स में से एक था और वही संभवतः डॉक्टरों के आतंकी मॉड्यूल का सरगना था।
पुलिस के अनुसार, उमर नबी भट ही उस इस “व्हाइट-कॉलर ग्रुप” का मुखिया था, जिसमें डॉक्टरों का एक नेटवर्क बनाकर कट्टरपंथी गतिविधियाँ संचालित की जा रही थीं। सोमवार रात (11 नवंबर) को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पुलवामा में उमर के घर छापा मारा और उसके पिता गुलाम नबी भट, दो भाइयों ज़हूर इलाही और असीक हुसैन को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। उमर की मां से डीएनए सैंपल भी लिया गया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “वह बाकी सदस्यों को दिशा देने और प्रेरित करने वाला व्यक्ति था।”
हालांकि परिवार ने आतंक से जुड़े किसी भी संबंध से इंकार किया है। उमर की भाभी मुज़ामिला अख्तर ने कहा, “हमें कुछ भी नहीं पता था। हमें उसके बारे में तब ही मालूम हुआ जब सुबह मीडिया हमारे घर पहुंची।”
उमर नबी ने अपनी स्कूली शिक्षा पुलवामा से पूरी की और श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) से MBBS और MD की डिग्री हासिल की। वह राज्य के एनईईटी-पीजी टॉपर्स में शामिल था। एमडी के बाद वह जीएमसी अनंतनाग में कार्यरत रहा, फिर हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर जुड़ा।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के लिंक पर जांच तेज़
10 नवंबर को फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी जांच के घेरे में आई, पुलिस ने वहां से विस्फोटक सामग्री का बड़ा भंडार बरामद किया और कुछ डॉक्टरों को गिरफ्तार किया। उसी रात दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में हुए धमाके में 12 लोगों की मौत हो गई। जांच में सामने आया कि इस यूनिवर्सिटी से जुड़े कई डॉक्टर पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकी समूहों से संपर्क में थे।
अतीत से जुड़े काले साए
कश्मीर में एक सेवानिवृत्त मेडिकल प्रोफेसर डॉ. ग़ुलाम जिलानी रोमशू ने बताया कि उन्होंने पहले ही उमर नबी के व्यवहार में कुछ असामान्य देखा था। वह उन चार वरिष्ठ डॉक्टरों में से थे जिन्होंने 2023 में उमर नबी की लापरवाही के कारण एक मरीज की मौत के चलते उमर की सेवा समाप्त करने की अनुशंसा की थी।
डॉ. रोमशू ने बताया कि “उमर अपने मरीजों के प्रति लापरवाह था। एक गंभीर स्थिति वाले मरीज को छोड़कर वह ड्यूटी से गायब हो गया था। मरीज की मौत हो गई और जांच में उसके झूठ पकड़े गए।” अस्पताल की समिति ने सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद उसकी सेवा समाप्त कर दी। इसके बाद उमर ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी पकड़ ली। वहीं से वह कथित तौर पर आतंकी नेटवर्क से जुड़ गया।
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