दिल्ली के लाल किले धमाके और फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल से जुड़ी जांच के सिलसिले में उत्तर प्रदेश पुलिस और ATS की संयुक्त टीम ने मंगलवार (11 नवंबर)देर रात लखनऊ में छापा मारकर डॉ. शाहीन शाहिद के भाई परवेज़ अंसारी के घर से कई संदिग्ध वस्तुएं जब्त की हैं।
अधिकारियों के अनुसार, छह मोबाइल फोन, तीन चाकू, एक अंतरराष्ट्रीय कॉलिंग कार्ड, कई डिजिटल डिवाइस और एक कंप्यूटर बरामद किया गया है। माना जा रहा है कि इन उपकरणों का इस्तेमाल जम्मू और विदेशों में स्थित संपर्कों से बातचीत के लिए किया जाता था।
परवेज़ अंसारी लखनऊ स्थित इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में शिक्षक हैं, जानकारी के अनुसार सोमवार (10 नवंबर) रात अपनी बहन शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी के बाद फरार होने की कोशिश में था, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। वर्तमान में उनसे एटीएस की कड़ी पूछताछ चल रही है।
सूत्रों ने बताया कि परवेज़ ने एक विशेष सिस्टम विकसित किया था, जो मोबाइल सिग्नल ट्रेसिंग को रोकने के लिए तैयार किया गया था। इससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए संचार गतिविधियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता था। अधिकारियों का कहना है कि यह प्रणाली संभवतः संवेदनशील बातचीत को छिपाने के उद्देश्य से तैयार की गई थी।
छापे के दौरान जब्त किए गए कंप्यूटर में एक गुप्त डिस्क (hidden disk) मिली है, जिसके बारे में जांचकर्ताओं का मानना है कि उसमें महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य और मॉड्यूल से संबंधित फाइलें हो सकती हैं। फिलहाल फॉरेंसिक टीम डेटा की जांच कर रही है ताकि आतंक नेटवर्क से जुड़े नए सुराग निकाले जा सकें।
बरामद चाकुओं को लेकर भी जांच जारी है। अधिकारी यह पता लगाने में जुटे हैं कि इनका इस्तेमाल किसी अवैध गतिविधि में हुआ या नहीं। इसके अलावा, एटीएस ने परवेज़ के वाहन को भी सीज़ कर लिया है, जो सहारनपुर में पंजीकृत है। इसी जिले में जांच एजेंसियों ने पहले आदिल अहमद नामक एक और संदिग्ध को गिरफ्तार किया था, जो अनंतनाग का निवासी है और फेमस हॉस्पिटल, सहारनपुर में कार्यरत था।
लाल किला धमाके और फरीदाबाद मॉड्यूल की कड़ी अब उत्तर प्रदेश के कई जिलों तक पहुँच गई है। एटीएस और खुफिया एजेंसियां लखनऊ, सहारनपुर, लखीमपुर खीरी सहित नोएडा, गाज़ियाबाद, मेरठ, वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, गोरखपुर, कानपुर और अलीगढ़ में भी छापेमारी कर रही हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “डॉक्टर शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी के बाद कई डिजिटल और मानव नेटवर्क के सूत्र खुले हैं। इन छापों का उद्देश्य आतंकी मॉड्यूल की संरचना को पूरी तरह से तोड़ना और विदेशी हैंडलरों से जुड़े सभी लिंक को खंगालना है।”
इस बीच, एटीएस का कहना है कि जब्त उपकरणों की फॉरेंसिक जांच से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी बड़ी जानकारी मिलने की संभावना है। जांच एजेंसियाँ इस मामले को “व्हाइट कॉलर टेररिज्म” का हिस्सा मान रही हैं, जिसमें शिक्षित पेशेवर आतंक संगठनों के लिए गुप्त भूमिका निभा रहे हैं।
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