बाहुबली मुख्तार अंसारी पर प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली, लखनऊ, गाजीपुर और मऊ में मुख्तार अंसारी और उनके करीबियों के कई ठिकानों पर छापेमारी की है। साथ ही मुख्तार के मुहम्मदाबाद स्थित घर पर भी छापेमारी की गई है। मुख्तार अंसारी और उनके कारीबियों पर ईडी ने शिकंजा कसा है। इतना ही नहीं ईडी ने विक्रम अग्रहरी और गणेश मिश्रा के ठिकानों पर भी छापे मारे हैं। इसके अलावा खान बस सर्विस के मालिक के यहां भी ईडी ने छापा मारा है।
इससे पहले मुख्तार अंसारी पर खुलासा हुआ था। जिसके अन्तर्गत रूपनगर जेल में बंद होने के बाद भी मुख्तार अंसारी को वीवीआईपी ट्रीटमेंट देने के आरोप में पंजाब की आप सरकार ने जांच के आदेश दिए थे। जांच के दौरान पता चला कि पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अंसारी का केस लड़ने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए वकील को लगाया था। और सुनवाई के हिसाब से वकील पर 11 लाख रुपए प्रति सुनवाई से कुल 55 लाख रुपए खर्च किए गए। वकील ने सुनवाई नहीं होने पर भी 5 लाख रुपए शुल्क लिए थे। वकील की इन बिलों का आप सरकार ने भुगतान करने से इनकार कर दिया।
जांच के दौरान पता चला था कि बैरक में मुख्तार अंसारी को फाइव स्टार जैसी सुविधाएं दी गई थी। इसके अलावा मुख्तार के सुविधा के लिए 25 कैदियों के रहने के स्थान को खाली कराया गया था। जांच एजेंसी ने दावा किया है कि जेल प्रशासन ने मुख्तार की पत्नी को भी उनके साथ रहने की अनुमति दी थी। चौंकाने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश में एक पंजीकृत एम्बुलेंस उसे भी अंसारी को कोर्ट ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। इस एम्बुलेंस में उनकी पत्नी भी उनके साथ जाती थीं।
पंजाब के जेल मंत्री ने दावा किया कि मुख्तार को सिर्फ एक संदिग्ध एफआईआर कर उसे यूपी पुलिस की कार्रवाई से बचाने के लिए जेल में बंद रखा गया था। बता दें कि मुख्तार अंसारी 2 साल और 3 महीने तक जेल में रहा। उसके बाद यूपी की योगी सरकार ने अंसारी को वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद मुख्तार को यूपी के बांदा जेल लाया गया था।
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