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Sunday, September 8, 2024
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मुंबई की झोपड़ियों में फर्जी डॉक्टरों की भरमार,क्यों मांगी 42 झोलाछाप डॉक्टरों ने एमएमसी से अनुमति? जानें

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मुंबई। अग्रीपाड़ा पुलिस ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर झुग्गी-झोपड़ी इलाकों में डिस्पेंसरी खोलकर लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले 42 फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन झोलाछाप डॉक्टरों ने महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी) को अपने फर्जी डिग्री सर्टिफिकेट दिखाकर प्रैक्टिस के लिए अनुमति मांगी थी।

परेल मेडिकल कॉलेज की लिस्ट में नहीं नाम

पुलिस के मुताबिक चूँकि इन फर्जी दस्तावेजों पर परेल मेडिकल कॉलेज का नाम था, इसलिए एमएमसी ने जब परेल मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थियों की सूची की जांच की, तो इन विद्यार्थियों के नाम सूची में नहीं थे। उन्होंने कार्डियोलॉजी, गायनोकोलॉजी, ऑप्थल्मोलॉजी और सर्जरी में प्रैक्टिस के लिए ये दस्तावेज दिए थे।

कहाँ से आए फर्जी सर्टिफिकेट

पुलिस अभी इस बात की जांच कर रही है कि ये जाली दस्तावेज इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास कहां से आए और इस फर्जीवाड़े में कौन-कौन शामिल है। ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व मेडिकल शिक्षा में प्रवेश के लिए फर्जी जाति प्रमाणपत्र को लेकर कुछ साल पहले विभिन्न स्टेशनों में शिकायत दर्ज कराई गई थी और उस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।

गोवंडी में भी पकड़ाए थे 5 बोगस डॉक्टर

पुलिस ने कुछ दिन पहले मानखुर्द और गोवंडी से पांच फर्जी डॉक्टरों को भी गिरफ्तार किया था। चौंकाने वाली जानकारी यह सामने आई है कि ये आरोपी 10 से 15 साल से यहां बिना लाइसेंस के डिस्पेंसरी चला रहे थे।

गोवंडी में धराए जनता की जान से खिलवाड़ कर रहे 5 बोगस डॉक्टर

गौरतलब है कि चिकित्सा क्षेत्र की कोई डिग्री नहीं, प्रशिक्षण नहीं, बावजूद इसके गरीब-भोली जनता की जेब से रुपए ऐंठने के लिए डिस्पेंसरी खोलकर उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे केवल 10 वीं-12 वीं पास 5 बोगस डॉक्टर गोवंडी में पकड़े गए हैं।

कोई डिग्री-ट्रेनिंग नहीं, सिर्फ 10 वीं-12 वीं पास

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मनपा स्वास्थ्य विभाग की सहायता से गोवंडी के बैंगनवाड़ी परिसर में 5 डिस्पेंसरियों पर छापा मार कर इन बोगस डॉक्टरों को धर दबोचा। जिन डिस्पेंसरियों के खिलाफ छापे की कार्रवाई की गई, उनके नाम क्षमा क्लीनिक,अलीशा क्लीनिक, आशिफा क्लीनिक, रहमत क्लीनिक व मिश्रा क्लीनिक हैं। क्राइम ब्रांच और शिवाजीनगर पुलिस के अनुसार इस प्रकरण में तहकीकात के दौरान यह सामने आया है कि जिन डॉक्टरों द्वारा ये क्लीनिक चलाए जा रहे थे, वे सिर्फ 10 वीं-12 वीं पास हैं, उनके पास मेडिकल क्षेत्र की न तो कोई डिग्री या सर्टिफिकेट है और न ही कोई प्रशिक्षण। बावजूद इसके वे गोवंडी के शिवाजीनगर, बैंगनवाड़ी परिसर में डिस्पेंसरी खोल कर गरीब,अनपढ़, भोली जनता को उल्लू बना उन्हें लूट ही रहे थे, बल्कि उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे थे।

दवा-इंजेक्शन जब्त, क्लीनिक सील

मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच यूनिट-6 को जब इस बारे में भनक लगी, तो पहले उसने इन डॉक्टरों व उनकी गतिविधियों के संबंध में जानकारी जुटाई, फिर इसकी सूची बनाकर मनपा के स्वास्थ्य विभाग की डॉ. प्रिया कोली को भेजी, जिनकी सहायता से इसके उपरांत आगे की कार्रवाई की गई। शिवाजीनगर पुलिस ने इन झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ झांसेबाजी व महाराष्ट्र मेडिकल ट्रेनिंग अधिनियम के अंतर्गत मामले दर्ज किए हैं। उनके पास से एंटीबायोटिक दवाएं, विविध इंजेक्शन सहित अन्य सामग्री जब्त कर क्लीनिक को सील कर दिया गया है।

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