गोरखपुर पुलिस ने 5 दिसंबर को एक महिला सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन पर ब्रह्मसरी गांव (थाना बेलघाट) में लगभग 30 आर्थिक रूप से कमजोर हिंदू महिलाओं को लालच देकर और मानसिक दबाव बनाकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभित करने का आरोप है। पारिवारिक समारोह के दौरान हुई घटना के बाद गिरफ्तारी की गई, जहाँ आरोपियों ने कथित तौर पर धार्मिक परिवर्तन की कोशिश की।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गांव में सीता देवी के घर उनके पोते के मुंडन संस्कार का आयोजन था। इसी दौरान आरोपियों प्रदीप कुमार और रीना देवी, निवासी देवरिया ने समारोह में उपस्थित 25 से 40 महिलाओं को इकट्ठा किया। ये महिलाएं मुख्य रूप से आर्थिक रूप से कमजोर और अनुसूचित जाति समुदायों से थीं।
FIR के अनुसार, आरोपियों ने महिलाओं से कहा कि यदि वे ईसाई धर्म अपना लेती हैं तो उन्हें सुख-सुविधा, नगद लाभ, दुखों से राहत और जीवन में आने वाली विपत्तियों से मुक्ति मिल जाएगी। जब कुछ महिलाओं ने आपत्ति जताई तो उन्हें धमकाने और मानसिक दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है। बताया गया है कि आरोपी बाइबिल का उपयोग कर प्रार्थना करा रहे थे और ईसाई धर्म को बढ़ावा दे रहे थे।
घटना की सूचना गांव में मौजूद कुछ लोगों ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को दी। संगठन के सदस्यों के पहुंचने के बाद पुलिस को बुलाया गया और शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया। इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें शुक्रवार को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
FIR बजरंग दल गोरखपुर ग्रामीण के जिला सह-समन्वयक बित्तू जयसवाल की शिकायत पर दर्ज की गई है। इसमें आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318, 61 और 351(2), तथा उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 3 और 5(1) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
शिकायत में जयसवाल ने दावा किया कि उन्हें विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी निखिल तोमरी से पता चला कि हरिजन बस्ती में धर्मांतरण की कोशिश की जा रही है। जयसवाल के अनुसार, प्रदीप और रीना ने महिलाओं को झांसा, मानसिक दबाव और ईश्वर का आशीर्वाद मिलने का वादा कर ईसाई धर्म अपनाने के लिए उकसाया। शिकायत में कहा गया है कि इस तरह की गतिविधि समाज और राष्ट्र हित के लिए हानिकारक है और इससे कमजोर वर्ग की महिलाएं अपने धर्म को छोड़ सकती हैं।
स्थानीय थानाध्यक्ष विकास नाथ ने कहा कि मामला अत्यंत संवेदनशील है और आरोप गंभीर हैं। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या इस गतिविधि में और लोग शामिल थे। साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। गोरखपुर में सामने आया यह मामला धार्मिक परिवर्तन से जुड़े कानूनों और कमजोर वर्गों की सुरक्षा से संबंधित चर्चाओं को फिर से प्रमुखता में लाता है।
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