मुंबई। हमारे देश की पुलिस आम आदमी के साथ दुर्व्यवहार के लिए जानी जाती ही पर वर्दी के नशे में चूर इन पुलिस वालों ने कानून के रखवालों को भी नही बख्शा। पर मामला एक वकील का था इस लिए दांव उल्टा पड़ गया है। एक वकील को गिरफ्तारी के बाद 25 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश न करने और उसे हथकड़ी लगाने को लेकर बांबे हाईकोर्ट नाराज हो गया है। अदालत ने मामले की जांच एक जज को सौंप दी है। हाईकोर्ट ने पुलिस के रुख को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उलंघन बताया है।
शुक्रवार को हाईकोर्ट ने ठाणे के जिला प्रधान व सत्र न्यायाधीश आर एम जोशी को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि श्री जोशी इस बात का पता लगाएं की सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मद्देनजर क्या अधिवक्ता विमलचंद्र झा को हथकडी पहना कर मैजिस्ट्रेट के सामने ले जाना न्याय संगत था? क्या एफआईआर दर्ज करने से पहले अधिवक्ता झा को खारघर पुलिस स्टेशन में अवैध रुप से हिरासत में रखा था? इसके अलावा खारघर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम कब शुरू हुआ और कब पूरा हुआ था। कैमरे कब से सक्रिय हुए थे। कोर्ट ने श्री जोशी को 15 जून 2021 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया हैं।
अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की खंडपीठ ने अपने आदेश में इस मामले से जुड़े सारे दस्तावेज जांच के लिए स्टेट सीआईडी को भेजने का निर्देश दिया है और पुलिस उपायुक्त स्तर के अधिकारी को अपनी निगरानी में मामले की जांच कराने का निर्देश दिया हैं। खंडपीठ ने यह निर्देश लॉयर फ़ॉर जस्ट सोसाईटी व अधिवक्ता झा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। अधिवक्ता झा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष झा व प्रशांत पांडे ने खंडपीठ के सामने पक्ष रखा।
याचिका में पिछले माह खारघर पुलिस स्टेशन की ओर से अपहरण व अन्य कथित आरोपों को लेकर की गई अधिवक्ता झा की गिरफ्तारी को अवैध बताया गया है। याचिका के मुताबिक आरोपी झा को 3 अप्रैल 2021 को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 5 अप्रैल 2021 को मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। जबकि नियमों के मुताबिक आरोपी को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कोर्ट की इजाजत के बिना किसी भी आरोपी को हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती है। फिर भी पुलिस ने झा को हथकडी लगाई थी।