बदलापुर में दो छोटी बच्चियों के साथ यौन शोषण की घटना सामने आने के बाद गुस्से भरी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है| समाज के हर स्तर से इस पर अपना गुस्सा जाहिर किया जा रहा है और आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग की जा रही है| इस मांग को लेकर बदलापुर रेलवे स्टेशन पर करीब 10 घंटे तक ट्रेन भी रोकी गयी|
इस पृष्ठभूमि में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है और इस संबंध में आज पहली सुनवाई हुई। इस बार कोर्ट ने जांच में बदलापुर पुलिस की अक्षम्य गलतियों पर उंगली उठाई है| लाइव लॉ ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी है।
“फिर शिक्षा के अधिकार का क्या उपयोग?”: इस मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ के समक्ष हुई। इस बार कोर्ट ने बदलापुर पुलिस की जांच में हुई गलतियों की तरफ इशारा किया| सरकारी पक्ष की ओर से वकील हितेन वेनेगांवकर पैरवी कर रहे थे| कोर्ट ने उन्हें कड़े शब्दों में सुनाई है|“अगर लड़कियाँ स्कूल में ही सुरक्षित नहीं हैं, तो शिक्षा के अधिकार का क्या फायदा? यहां तक कि 4 साल की बच्चियां भी इसका शिकार हो रही हैं। यह क्या स्थिति है? यह बहुत चौंकाने वाला है”, न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे ने कहा।
अदालत ने पुलिस की देरी की आलोचना की: इस बीच, मामला दर्ज करने में पुलिस द्वारा दिखाई गई देरी पर अदालत ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा, ”ऐसा नहीं है कि मामला दर्ज करने में देरी हुई। इस घटना के सामने आने के बाद स्कूल प्रशासन ने भी शिकायत दर्ज नहीं कराई| यह बात एफआईआर की कॉपी से जाहिर होती है| सिर्फ एक पीड़िता का बयान दर्ज किया गया है| इसके अलावा हमने दूसरी पीड़ित लड़की का बयान कब दर्ज किया? यह पूछने पर बचाव पक्ष ने कहा कि इसे आज दर्ज किया जाएगा।”
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