मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने मुम्ब्रा निवासी जासिम उर्फ वसीम सलीम शेख को ₹82,000 की नकली भारतीय मुद्रा रखने के मामले में दोषी करार दिया है। शेख ने अदालत में गुनाह कबूल कर लिया, जिसके बाद अदालत ने उसे समय पूर्ति की सजा (time served) सुनाई यानी जितना समय वह पहले ही जेल में बिता चुका है, वही उसकी सज़ा मानी गई। इसके साथ ही अदालत ने उस पर ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया है।
जांच में सामने आया कि जासिम शेख को पहले मोबाइल चोरी के आरोप में कोलकाता की जेल में बंद किया गया था। वहीं पर उसकी मुलाकात इसाक खान नामक कैदी से हुई, जिसने उसे नकली करेंसी तस्करी में शामिल होने के लिए उकसाया। जेल से बेल पर रिहा होने के बाद, अप्रैल 2019 में शेख को इसाक खान ने संपर्क कर एक नकली नोटों की खेप कर्नाटक से लाने को कहा।
शेख कर्नाटक जाकर एक सहयोगी से ₹500 के नकली नोटों में ₹82,000 की राशि लेकर मुम्ब्रा लौटा। वहीं पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पहले यह मामला मुम्ब्रा पुलिस के पास था, लेकिन बाद में इसकी गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया।
अदालत ने माना कि यह शेख का पहला अपराध था और उसे दूसरे आरोपी द्वारा बहलाया-फुसलाया गया था, जिससे वह इस अपराध में फंस गया। इसी बात को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने उसे कड़ी सजा देने के बजाय पहले से काटी गई सज़ा को ही अंतिम माना।
इस केस में अदालत ने जहां दोषी को सजा सुनाई, वहीं उसके सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पक्ष को भी महत्व दिया। नकली करेंसी जैसे मामलों में NIA की सख्त नजर बनी हुई है, और भारत की आर्थिक सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
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