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कश्मीर के अस्पतालों में हथियारों का बनाना था जखीरा, लाल किला विस्फोट जांच में बड़ा खुलासा

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कश्मीर के अस्पतालों को हथियारों के बड़े भंडारण केंद्रों में बदलने की जैश-ए-मोहम्मद की साजिश का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। दिल्ली के लाल किला विस्फोट मामले की जांच कर रही एनआईए को इस मॉड्यूल के बारे में कई अहम जानकारियां मिली हैं, जिनसे पता चला है कि संगठन का तथाकथित “डॉक्टर आतंकी मॉड्यूल” अनंतनाग, श्रीनगर, बारामूला और नौगाम के अस्पतालों को उसी तरह हथियारों की छिपी हुई सप्लाई चेन में बदलना चाहता था, जैसा हमास गाजा के अस्पतालों, खासकर अल-शिफा, का इस्तेमाल करता रहा है।

सूत्रों का कहना है कि हमास और जैश के कुछ तत्वों के बीच पिछले महीनों में बढ़ती नजदीकियों की सूचनाएं मिली थीं, जिससे शक मजबूत हुआ कि जैश को तकनीकी मदद भी मिल रही थी। NIA द्वारा गिरफ्तार किए गए डॉ. अदील राठेर से पूछताछ के दौरान यह खुलासा सामने आया कि कई अस्पतालों में डॉक्टरों के निजी लॉकरों और सुरक्षित स्थानों का इस्तेमाल हथियारों और गोला-बारूद छिपाने के लिए किया जा रहा था। जानकारी मिलते ही कश्मीर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने कई अस्पतालों में एक साथ छापेमारी की और संदिग्ध लॉकरों से हथियार बरामद किए, जो मॉड्यूल की व्यापक तैयारी का संकेत देते हैं।

इस पूरे मॉड्यूल की जड़ें सिर्फ कश्मीर तक सीमित नहीं थीं। गुजरात एटीएस द्वारा हाल ही में गिरफ्तार किए गए तीन आतंकियों और हैदराबाद से पकड़े गए डॉक्टर अहमद सैयद ने एक और चिंताजनक आयाम उजागर किया। अहमद के घर से अरंडी का गूदा, एसीटोन, कोल्ड प्रेस ऑयल मशीन और रासायनिक सामग्री मिली, जिन्हें मिलाकर अत्यंत घातक जैविक जहर रिसिन तैयार किया जा सकता है। अहमद के भाई उमर ने दावा किया कि उसे एक प्रोजेक्ट दिया गया था और शायद उसे रिसिन की जानलेवा प्रकृति का अंदाज़ा नहीं था, लेकिन जांच एजेंसियों के अनुसार यह सामग्री किसी बड़े प्रयोग की तैयारी की ओर इशारा करती है।

रिसिन एक बेहद विषैला प्राकृतिक प्रोटीन है, जिसे सांस, इंजेक्शन या निगलने के जरिए शरीर में ले जाया जाए तो यह मिनटों में घातक साबित हो सकता है। इसकी कम मात्रा भी जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है। जांचकर्ताओं का मानना है कि मॉड्यूल के सदस्य इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे थे।

इसी नेटवर्क के दूसरे आरोपी, यूपी के लखीमपुर निवासी मोहम्मद सुहैल के ठिकाने से ISIS के काले झंडे भी बरामद हुए, जिससे एजेंसियां इस पूरे मॉड्यूल के अंतरराष्ट्रीय छोरों को खंगालने में जुट गई हैं।

NIA और अन्य सुरक्षा एजेंसियां इन खुलासों को बेहद गंभीर मानते हुए मॉड्यूल के नेटवर्क, फंडिंग, तकनीकी सहायता और स्थानीय सहयोगियों की पहचान में तेजी से काम कर रही हैं। कश्मीर से लेकर गुजरात और हैदराबाद तक फैले इस जाल ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने कई परतें खोल दी हैं, जो यह संकेत देती हैं कि आतंकवादी संगठन अब अधिक जटिल और बहुस्तरीय रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे हैं, चिकित्सा संस्थानों जैसी संवेदनशील जगहों को भी हथियार-सप्लाई चेन में बदलने की कोशिश इसका सबसे खतरनाक उदाहरण है।

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