दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए i20 कार ब्लास्ट के बाद जांच तेज हो चुकी है। इसी कड़ी में इंडिया टुडे ने फरीदाबाद स्थित अल-फला यूनिवर्सिटी में स्टिंग ऑपरेशन किया, जहाँ दो आरोपी डॉक्टर डॉ. उमर मोहम्मद और डॉ. मुझम्मिल सईद पढ़ाया करते थे। छात्रों और स्टाफ ने टीम को बताया कि उमर मोहम्मद अपने कक्षाओं में “तालिबान मॉडल” जैसा सख्त जेंडर सेग्रिगेशन लागू करता था।
छात्रों के अनुसार, उमर “कट्टरपंथी नियमों” जैसा माहौल अपनी कक्षाओं में बनाता था। एक MBBS छात्र ने कहा, “हम लड़के-लड़कियाँ साथ बैठते थे, लेकिन जैसे ही उमर सर आते थे, हमें अलग-अलग बैठा देते थे। हमें यह बिल्कुल पसंद नहीं था।” छात्र ने यह भी बताया कि उमर का स्वभाव बेहद संकोची था और वह अधिकतर अकेले रहते थे।
एक छात्र ने बताया, “उमर साहब यहीं हॉस्टल में रहते थे।” यूनिवर्सिटी के एक कर्मचारी ने कहा कि वे हाल ही में शामिल हुए हैं और किसी आरोपी डॉक्टर से मुलाकात नहीं हुई। “मैं सबसे जूनियर डॉक्टर हूँ, एक हफ़्ते पहले जॉइन किया है। मैंने इनमें से किसी को नहीं देखा,” उन्होंने कहा।
ब्लास्ट के बाद से अल-फला यूनिवर्सिटी अस्पताल में मरीजों की संख्या में भारी गिरावट आई है। छात्रों ने बताया कि संस्थान के भीतर दहशत और अविश्वास का माहौल बना हुआ है। एक छात्र ने कहा, “ब्लास्ट के बाद मरीज बहुत कम आ रहे हैं।”
कुछ छात्रों ने यूनिवर्सिटी की गुणवत्ताहीन शिक्षा और अव्यवस्थित ढांचे की भी शिकायत की। एक छात्र ने कहा, “टीचिंग कमज़ोर है, सुविधाएँ खराब हैं, प्रैक्टिकल्स समय पर नहीं होते।” हालाँकि कई छात्र डॉ. शाहीन सईद जो अब “डॉक्टर्स टेरर मॉड्यूल” की आरोपी हैं की तारीफ़ करते दिखे। एक छात्र ने कहा, “शाहीन मैम बहुत अच्छी टीचर थीं। हमने उनसे बहुत सीखा।”
यूनिवर्सिटी के बाहर एक रिहायशी कॉलोनी में डॉ. मुझम्मिल सईद गनी ने दो कमरे किराए पर लिए थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने पहचान छिपाकर कमरे किराए पर लिए और बाद में वहाँ विस्फोटक सामग्री रखी।
मकान मालिक ‘मद्रासी’ ने बताया, “13 सितंबर को मुझम्मिल कमरा लेने आए। बोले कि अकेले रहूँगा तो 1200 रुपये दूँगा, बच्चों के साथ रहूँ तो 1500। कमरे को पसंद करके 2400 रुपये एडवांस दे दिए और चाबी ले ली। फिर कभी लौटकर नहीं आए।” उन्होंने आगे बताया कि हाल ही में सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी पूछताछ करने आए थे। “सुबह कुछ कश्मीरी लोग भी आए और उसका सारा सामान उठाकर ले गए,” उन्होंने कहा।
जांच एजेंसियों के अनुसार, यह मॉड्यूल बेहद संगठित था और अकादमिक माहौल में छिपकर काम कर रहा था। रेड फोर्ट ब्लास्ट सिलसिले में कई नए सुराग लगातार सामने आ रहे हैं, जिससे जांच और अधिक जटिल हो गई है। अल-फला यूनिवर्सिटी फिलहाल सुरक्षा एजेंसियों की सख्त निगरानी में है। अधिकारी यह पता लगाने में जुटे हैं कि आतंकी गतिविधियों में शामिल लोग कैसे एक शैक्षणिक संस्थान के भीतर घुलमिल कर काम करते रहे।
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