रेड कॉरिडोर में चल रहे सघन अभियान, शीर्ष नेताओं के मारे जाने और लगातार बढ़ते दबाव के बीच CPI (माओवादी) ने चौंकाने वाला पत्र जारी किया है। संगठन ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को लिखकर फरवरी 2026 तक सामूहिक आत्मसमर्पण की इच्छा जताई है। माओवादी नेतृत्व ने राज्यों से अनुरोध किया है कि उन्हें अपने सभी कैडरों तक संदेश पहुंचाने और हथियार डालने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समय दिया जाए।
पत्र में कहा गया है कि यह फैसला “देश और दुनिया में बदलते हालातों का आकलन” करने के बाद सामूहिक रूप से लिया गया है। संगठन ने इसे एक ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए सरकार से अस्थायी रूप से अभियान रोकने की मांग भी की है।
माओवादियों द्वारा भेजे गए पत्र में लिखा है, “हम हथिया छोड़कर सरकार की पुनर्वास और पुनर्मार्गम योजना स्वीकार करना चाहते हैं, लेकिन हम अनुरोध करते हैं कि हमें समय दिया जाए। हमें अपने साथियों से संपर्क कर यह संदेश पहुँचाना है, जो हमारी प्रक्रिया के अनुसार समय लेगा। इसलिए हम 15 फरवरी 2026 तक का समय मांगते हैं।”
पत्र में आगे कहा गया है कि इस अनुरोध के पीछे कोई छिपा मकसद नहीं है। संगठन ने तीनों राज्य सरकारों से 15 फरवरी 2026 तक सुरक्षा अभियानों में संयम बरतने की अपील की है।
महाराष्ट्र–मध्य प्रदेश–छत्तीसगढ़ स्पेशल ज़ोनल कमेटी के प्रवक्ता ने भी अपने क्षेत्र में सक्रिय माओवादी दलों से सभी गतिविधियों को रोकने का आह्वान किया है। साथ ही सरकार से अपील की है कि आने वाले कुछ दिनों तक रेडियो पर उनका संदेश प्रसारित किया जाए ताकि सुदूर वन क्षेत्रों में मौजूद कैडरों तक भी बात पहुँच सके।
केंद्र सरकार ने पहले ही मार्च 2026 तक माओवादी हिंसा समाप्त करने का लक्ष्य तय कर रखा है। इसके बाद से सुरक्षा बलों ने अभियान तेज कर दिया है। कई शीर्ष कमांडरों का सफाया हो चुका है, बड़ी संख्या में कैडर आत्मसमर्पण कर रहे हैं, और बची हुई इकाइयों को लगातार जंगल इलाकों में धकेला जा रहा है।
माओवादी आंदोलन को हाल ही में बड़ा नुकसान तब हुआ जब कुख्यात कमांडर मदवी हिडमा एक मुठभेड़ में मारा गया। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़–तेलंगाना–आंध्र प्रदेश की त्रिकोणीय सीमा के घने जंगलों में हुई थी। हिडमा को माओवादी सैन्य मशीन का ‘सबसे खतरनाक चेहरा’ माना जाता था।
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक यह पत्र इस बात का संकेत है कि संगठन की क्षमता, नेतृत्व और मनोबल दोनों रिकॉर्ड स्तर पर कमजोर पड़े हैं। लगातार सर्जिकल अभियान, विकास कार्यों की पहुँच और कैडरों में थकान ने संगठन को आत्मसमर्पण की ओर धकेला है। यदि फरवरी 2026 तक सामूहिक आत्मसमर्पण होता है तो यह स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा उग्रवादी सरेंडर हो सकता है, रेड कॉरिडोर में पाँच दशकों से जारी हिंसा के अंत की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा।
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