केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर बड़ी कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ाया है। मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस बिल को मंजूरी दे दी, जिसके तहत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सट्टेबाजी को अपराध घोषित किया जाएगा। बिल में ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ी लत, धोखाधड़ी और राज्यों के बीच अलग-अलग नियमों की समस्या को सुलझाने का प्रयास किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, यह बिल बुधवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है। प्रस्तावित कानून के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) को ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स का केंद्रीय नियामक प्राधिकरण बनाया जाएगा। एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, “कैबिनेट ने उन ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने वाले बिल को मंजूरी दी है जिनमें असली पैसे का लेन-देन होता है। सरकार बुधवार को संसद में इस बिल को पेश करने की कोशिश करेगी।”
इस फैसले के पीछे एक अहम कारण हाल के महीनों में सट्टेबाजी से जुड़े आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाएं बताई जा रही हैं। गौरतलब है कि सरकार पहले ही 2023 में ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी और 2024-25 से जीत की रकम पर 30% टैक्स लागू कर चुकी है।
नए आपराधिक प्रावधानों के तहत अनधिकृत सट्टेबाजी करने वालों को सात साल तक की जेल और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, संविधान के अनुसार जुए से जुड़े नियम लागू करना राज्यों की जिम्मेदारी है, लेकिन केंद्र ने स्पष्ट कर दिया है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर निगरानी के लिए एक मजबूत ढांचा जरूरी है।
सरकार ने 2022 से अब तक 1,400 से अधिक सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक किया है। इसके अलावा, मंत्रालयों ने माता-पिता और शिक्षकों को चेतावनी जारी की है, वहीं टीवी चैनलों और गेमिंग विज्ञापनों पर अनिवार्य अस्वीकरण (disclaimer) लगाना भी जरूरी कर दिया गया है।
बिल के संसद में पारित होने के बाद देशभर में ऑनलाइन सट्टेबाजी के खिलाफ एक समान कानून लागू होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को पारदर्शी बनाएगा और युवाओं को नशे जैसी लत से बचाने में मदद करेगा।
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