घाटी में आतंक के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में लगातार तीसरे दिन आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ जारी रही। अब तक तीन आतंकियों को मार गिराया गया है, जबकि कुछ और आतंकियों के छिपे होने की आशंका में ऑपरेशन अभी भी चल रहा है।
सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने शुक्रवार(1 अगस्त) को खुफिया सूचना के आधार पर कुलगाम के अखाल वन क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। जैसे ही सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी की, आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद मुठभेड़ छिड़ गई। इस मुठभेड़ में शुक्रवार(1 अगस्त) को एक आतंकी मारा गया, शनिवार (2 अगस्त) को दूसरा आतंकी ढेर हुआ, और रविवार (3 अगस्त) को तीसरे आतंकी को भी मार गिराया गया।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इलाके में अब भी आतंकियों की मौजूदगी की आशंका है, इसलिए ऑपरेशन को फिलहाल रोका नहीं गया है। सेना ने पूरे जंगल क्षेत्र को सील कर दिया है और ड्रोन, स्निफर डॉग्स और हाई-टेक सर्विलांस सिस्टम की मदद से तलाशी जारी है।
घाटी में पिछले कुछ हफ्तों से आतंक के खिलाफ सुरक्षाबलों का रुख काफी आक्रामक रहा है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद से सेना और खुफिया एजेंसियों ने आतंकियों के साथ-साथ उनके ओवरग्राउंड नेटवर्क और लोकल सहयोगियों के खिलाफ भी कार्रवाई तेज कर दी है।
हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत 28 जुलाई को श्रीनगर के दाचीगाम नेशनल पार्क में तीन पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया गया था। इन आतंकियों में लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर सुलेमान शाह, अबू हमजा और जिबरान भाई शामिल थे, जो पहलगाम हमले में शामिल थे जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की निर्मम हत्या की गई थी।
इसके अगले ही दिन, 29 जुलाई को सेना ने ‘ऑपरेशन शिव शक्ति’ के तहत दो और आतंकियों को ढेर किया। इन सिलसिलों में अब कुलगाम ऑपरेशन सबसे ताजा कार्रवाई है, जो यह दर्शाता है कि सुरक्षाबलों ने आतंकवाद के खिलाफ ‘नो टॉलरेंस’ नीति अपनाई है। एलओसी पर हाई अलर्ट है, और सीमा पर ड्रोन मूवमेंट, हथियारों की तस्करी व घुसपैठ की हर कोशिश पर नजर रखी जा रही है। कुलगाम ऑपरेशन में मारे गए आतंकियों की पहचा न और उनकी संगठन से जुड़ी जानकारी के लिए जांच जारी है।
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