कोलकाता की पॉक्सो अदालत ने मंगलवार को एक 34 वर्षीय आरोपी को पिछले साल 30 नवंबर को सात महीने की बच्ची के साथ बलात्कार करने के लिए मौत की सजा सुनाई है। बता दें की बच्ची इस दरंदिगी के बाद जीवन के लिए संघर्ष कर रही है। अदालत ने इस मामले को “दुर्लभतम” करार देते हुए दोषी को मौत की सजा सुनाई है।
अदालत ने पीड़िता को 10 लाख रुपये का मुआवजा भी देने का आदेश दिया। राजीब घोष उर्फ़ गोबरा को सात महीने की नन्ही बच्चे से अपराध का दोषी पाए जाने के एक दिन बाद सजा सुनाई गई। दौरान न्यायाधीश इंद्रिला मुखोपाध्याय मित्रा ने फैसला पढ़ते हुए कहा, “यह एक दुर्लभतम मामला है। अदालत इसके अलावा किसी अन्य सजा के बारे में नहीं सोच सकती।”
गंभीर यौन उत्पीड़न से संबंधित मौत की यह सजा पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दी गई है। बता दें की 2019 में इस धारा में संशोधन करके मौत की सजा को जोड़ा गया था। घोष को बीएनएस धारा 65 (2), 118, 137 और 140 के तहत भी दोषी पाया गया था। कानूनी विशेषज्ञों ने बताया कि ऐसे मामलों में सजा 20 साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास और यहां तक कि मौत तक हो सकती है।
यह तर्क देते हुए कि जिस तरह से सात महीने की बच्ची के साथ दुर्व्यवहार किया गया वह बेहद दुर्लभ था अदालत ने मृत्यु दंड का फैसला लिया। बता दें की, मामले को पोक्सो कोर्ट के भीतर 80 दिनों में सुलझाया गया।
मामले में गवाही देने वाले 24 गवाहों में एक मेडिकल प्रोफेशनल भी शामिल था, जिसने अपराध की गंभीरता के बारे में विस्तार से बताया। सरकारी वकील ने कहा कि अपराध में घोष की संलिप्तता स्थापित करने में मदद के लिए सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी को मामले में शामिल किया गया था।
बच्चा कथित तौर पर 30 नवंबर, 2024 की रात को बरटोला इलाके से अगवा किया गया था। उसने कथित तौर पर इस कृत्य को अंजाम देने से पहले कई बार इलाके का चक्कर लगाया था। पुलिस ने मामले के 26 दिनों के भीतर आरोपपत्र दाखिल किया और मामले की सुनवाई 4 जनवरी को शुरू हुई।
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शिशु पीड़िता अभी भी जीवित है और राज्य द्वारा संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रही है। मामले में विशेषज्ञ गवाह रहे मेडिकल विशेषज्ञों ने यह भी नोट किया कि पिछले दो महीनों में बच्चे का वजन नहीं बढ़ा है।