बहुचर्चित ‘राजा रघुवंशी हनीमून मर्डर केस’ में एक अहम मोड़ आया है। शिलॉन्ग की एक अदालत ने इस मामले के दो सहआरोपियों लोकेन्द्र सिंह तोमर और बलबीर अहिरवार को सशर्त जमानत दे दी है। दोनों पर हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप था और वे पहले से पुलिस हिरासत में थे। हालांकि, अदालत ने जमानत को कड़ी लेकिन गोपनीय शर्तों के साथ मंजूर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, बचाव पक्ष ने अदालत में दलील दी कि तोमर और अहिरवार ने जांच में पूरी तरह सहयोग किया है और वे सीधे हत्या में शामिल नहीं थे। अदालत ने इस तर्क को मानते हुए जमानत दी।
हालांकि, इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार ने चिंता जताई है कि इससे मामले की जांच की रफ्तार प्रभावित हो सकती है। राजा रघुवंशी के परिजनों ने न्याय प्रक्रिया में तेजी और सभी दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग दोहराई है।
मामले की मुख्य आरोपी मानी जा रही राजा की पत्नी सोनम फिलहाल पुलिस हिरासत में है। उसने 9 जून को उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर में एक ढाबे पर अचानक सरेंडर कर सभी को चौंका दिया था। उसके खिलाफ हत्या की योजना बनाने और पति की हत्या में संलिप्तता का संदेह है।
राजा रघुवंशी और सोनम की शादी 10 मई को इंदौर में हुई थी। शादी के बाद वे हनीमून के लिए मेघालय के शिलॉन्ग पहुंचे थे। 21 मई को दोनों ने सोहरा (चेरापूंजी) इलाके में घूमने के लिए एक स्कूटर किराए पर लिया, लेकिन अगले दिन से उनका कोई सुराग नहीं मिला।
लगभग दो हफ्तों की तलाशी के बाद 2 जून को राजा का सड़ा-गला शव एक खाई में मिला। शरीर पर कई धारदार हथियारों के घाव और सिर पर दो गहरे घातक चोटों के निशान थे। हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने कई पहलुओं से जांच शुरू की है। हालांकि, सोनम की भूमिका, दो सहआरोपियों की भूमिका, और हत्या की साजिश को लेकर अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं।
पुलिस ने अभी तक अदालत द्वारा दी गई जमानत पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला केस की दिशा को प्रभावित कर सकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब निगाहें अदालत में अगली सुनवाई और पुलिस जांच की प्रगति पर टिकी हैं। पीड़ित परिवार और आमजन की मांग है कि इस जघन्य हत्या में शामिल सभी दोषियों को जल्द से जल्द न्यायिक सजा दी जाए और जांच में कोई ढिलाई न बरती जाए।
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