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Tuesday, December 9, 2025
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राइसिन जहर तैयार कर रहा था आतंकी, कर चुका था खाद्य बाजारों का सर्वेक्षण

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अगर इस सामग्री को हथियार के रूप में प्रयोग करने की दिशा में कोई प्रयोग शुरू हो चुका था, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़े खतरे का संकेत है।

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गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS)ने हाल ही में गिरफ्तार किए गए तीन ISIS से जुड़े आरोपियों में से एक डॉक्टर के बारे में चौंकाने वाला खुलासा आया है। अधिकारियों के अनुसार यह डॉक्टर कथित तौर पर अत्यधिक घातक रासायनिक पदार्थ रिसिन (Ricin) तैयार करने की कोशिश कर रहा था और उसने देश के अत्यधिक भीड़भाड़ वाले खाद्य बाजारों का सर्वे भी किया था। इस बात ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि यह संकेत है कि समूह एक बड़े पैमाने पर आतंकवादी हमले की योजना बना रहा था।

जानकारी के अनुसार, इस डॉक्टर ने पिछले छह महीनों में दिल्ली के आज़ादपुर मंडी, अहमदाबाद के नारोदा फ्रूट मार्केट और लखनऊ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कार्यालय की रेकी कर रखी थी। घनी भीड़ और भारी जन-सक्रियता के कारण चुने गए इन स्थानों को संभावित निशाना माना जा रहा था। एटीएस के अनुसार वह यह समझने की कोशिश कर रहा था कि किन परिस्थितियों में रिसिन को एक व्यापक हमले में इस्तेमाल किया जा सकता है।

रिसिन एक प्रोटीन विष (toxin) है, जिसे अरंडी (Castor) पौधे के बीजों से निकाला जा सकता है। यह कम मात्रा में भी घातक हो सकता है, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि आम अपराधों में इसका उपयोग अत्यंत दुर्लभ है और समय पर उपचार मिलने पर कई बार स्थिति को संभाला जा सकता है। इसके बावजूद, सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अगर इस सामग्री को हथियार के रूप में प्रयोग करने की दिशा में कोई प्रयोग शुरू हो चुका था, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़े खतरे का संकेत है।

ATS और केंद्रीय एजेंसियां अब बरामद रासायनिक सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और डिजिटल संवाद का विश्लेषण कर रही हैं। जांच अधिकारी यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या रिसिन तैयार करने की प्रयोगशाला या सामग्री की आपूर्ति श्रृंखला देश के भीतर थी या बाहरी नेटवर्क से जुड़ी हुई थी।

गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपीयों में से दो उत्तर प्रदेश से और एक हैदराबाद से है, यह तीनों ISIS के एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा होने के संदेह में हैं। शुरुआती पूछताछ में संकेत मिला है कि विभिन्न राज्यों में स्लीपर सेल सक्रिय हो सकते हैं, जिनके बीच डिजिटल संपर्क और साझा योजना संरचना मौजूद है। जांच जारी है। एजेंसियों ने फिलहाल विस्तृत जानकारी साझा करने से इनकार किया है ताकि नेटवर्क के अन्य संभावित सदस्यों पर कार्रवाई प्रभावित न हो।

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