सुप्रीम कोर्ट: आतंकी संघटन से प्रतिबंध हटाने की याचिका ख़ारिज !

आतंकी कनेक्शन और कट्टरपंथी गतिविधियों का हवाला

सुप्रीम कोर्ट: आतंकी संघटन से प्रतिबंध हटाने की याचिका ख़ारिज !

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भारत में प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें यूएपीए ट्रिब्यूनल द्वारा सिमी पर प्रतिबंध बढ़ाने के फैसले को चुनौती दी गई थी। इस तरह, संगठन पर पांच साल का प्रतिबंध फिलहाल बरकरार रहेगा।

सोमवार (14 जुलाई) को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता हुमाम अहमद सिद्दीकी की याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने याचिका की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए इस पर विचार करने से ही इनकार कर दिया। यह याचिका यूएपीए ट्रिब्यूनल के उस फैसले को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा 29 जनवरी 2024 को जारी प्रतिबंध आदेश को वैध ठहराया गया था।

गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने सिमी को गैरकानूनी संगठन घोषित करते हुए UAPA की धारा 3(1) के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बाद इस प्रतिबंध की समीक्षा के लिए गठित ट्रिब्यूनल ने सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि सिमी अभी भी देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है।

ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि सिमी, लश्कर-ए-तैयबा और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों से संपर्क में है और भारत में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में सक्रिय है। यह भी बताया गया कि संगठन फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशनों के माध्यम से गतिविधियों को छिपाकर जारी रखे हुए है।

इस प्रतिबंध की पृष्ठभूमि में, सिमी पर भारत में हुई कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहने के गंभीर आरोप हैं। जनवरी 2024 में जब यह प्रतिबंध दोबारा बढ़ाया गया, तब गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को बल देते हुए, स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को यूएपीए के तहत अगले 5 वर्षों के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है। सिमी भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा पैदा करता है और आतंकवाद को बढ़ावा देता है।”

गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, 31 जनवरी 2019 को लगाए गए पिछले प्रतिबंध की अवधि पूरी होने से पहले ही, सरकार ने नया प्रतिबंध आदेश जारी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही सिमी पर प्रतिबंध जारी रहेगा और सरकार की आतंकवाद-विरोधी नीति को एक और कानूनी समर्थन मिल गया है। यह मामला भारत में प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ चल रही कार्रवाई और सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता का एक अहम संकेत माना जा रहा है।

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