2006 के मुंबई लोकल ट्रेन सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सभी 12 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। महाराष्ट्र ATS की तरफ से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 24 जुलाई की तारीख तय की है।
मंगलवार (22 जुलाई)को मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और एनवी अंजारिया की पीठ ने इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की अनुमति दी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ATS की ओर से जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि यह मामला गंभीर और महत्वपुर्ण है। इससे पहले सोमवार (21 जुलाई) को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 2009 के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें पांच आरोपियों को मौत की सजा और सात को उम्रकैद दी गई थी। ये सभी आरोपी 11 जुलाई 2006 को मुंबई की वेस्टर्न रेलवे लोकल लाइन पर हुए श्रृंखलाबद्ध धमाकों में शामिल होने के आरोप में दोषी ठहराए गए थे।
जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चंदक की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहा और यह मानना मुश्किल है कि अभियुक्तों ने ही यह अपराध किया। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि कई आरोपियों ने ATS द्वारा की गई यातना की शिकायत की थी, और माना कि जांच अधिकारियों पर तेजी से परिणाम देने का दबाव था, जिससे तथ्यों की अनदेखी और गलत तरीके अपनाए गए।
मुंबई लोकल ट्रेन धमाके देश के सबसे भयानक आतंकी हमलों में गिने जाते हैं। इन धमाकों में 189 लोगों की जान गई थी और 800 से अधिक घायल हुए थे। विस्फोट उस समय की लोकल ट्रेनों में हुए थे जब वे अत्यधिक भीड़ से भरी होती हैं। अब जबकि हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है, महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार दोनों ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। 24 जुलाई को शीर्ष अदालत इस संवेदनशील मामले पर सुनवाई करेगी, जिससे यह तय हो सकेगा कि क्या निचली अदालत का फैसला फिर से बहाल होगा या हाईकोर्ट का फैसला कायम रहेगा।
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