एमएमआरडीए के साथ इस कंपनी ने की 24 करोड़ रुपए की ठगी

लाइसेंस शुल्क 13 करोड़ 30 लाख 33 हजार 390 रुपए निर्धारित किया गया था। मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड द्वारा एक कौड़ी भी नहीं अदा की गई है।

एमएमआरडीए के साथ इस कंपनी ने की 24 करोड़ रुपए की ठगी

एमएमआरडीए प्रशासन ने बड़ी धूमधाम से छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा, सांताक्रूज से प्रबोधनकार ठाकरे फ्लाईओवर, बांद्रा तक का सौंदर्यीकरण और विज्ञापन का ठेका मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड को दिया। हालांकि एमएमआरडीए प्रशासन ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को चौंकाने वाला कबूलनामा दिया है कि 20 महीने बाद भी एक कौड़ी बतौर लाइसेंस शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है।वर्तमान में एमएमआरडीए से मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड ने 24 करोड़ रुपये की ठगी की हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा, सांताक्रूज से प्रबोधनकर ठाकरे फ्लाईओवर, बांद्रा को सौंदर्यीकरण और विज्ञापन अनुबंध प्रदान करने और उन्हें लंबित लाइसेंस शुल्क के बारे में जानकारी मांगी थी।

एमएमआरडीए प्रशासन ने सभी दस्तावेज अनिल गलगली को दे दिए हैं और स्पष्ट किया है कि जैसा कि टेंडर में बताया गया है, मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड के माध्यम से बैंक गारंटी प्राधिकरण को 1.33 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। लेकिन अभी तक मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड के माध्यम से प्राधिकरण को लाइसेंस शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है।

एमएमआरडीए प्रशासन ने 28 सितंबर 2020 को 15 साल के लिए ऑफर लेटर जारी किया था। एमएमआरडीए प्रशासन द्वारा 4 मार्च, 2020 को टेंडर जारी किया गया था। दिनांक 7 दिसंबर 2020 को मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड को वर्क ऑर्डर दे दिया गया है। इसने 82 स्थानों पर 3199.84 वर्ग मीटर के विज्ञापन की अनुमति दी। 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की वृद्धि की शर्त पर 15 वर्ष का अनुबंध किया गया। लाइसेंस शुल्क 13 करोड़ 30 लाख 33 हजार 390 रुपए निर्धारित किया गया था। आज मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड द्वारा एक कौड़ी भी नहीं अदा की गई है।

गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एमएमआरडीए अध्यक्ष एकनाथ शिंदे और एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त श्रीनिवास को पत्र भेजकर मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड को ब्लैकलिस्ट करने की मांग की है। पिछले 20 महीनों से एक भी पैसा नहीं दिया है। ऐसे मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड का समर्थन कौन करता है? इसकी जांच की जाए और ब्याज समेत पैसा वसूल कर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया जाए।

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