मुंबई। इसे कहते हैं नेकी कर, दरिया में डाल। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला ने तबादले में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया था। इसके लिए उन्हें सरकार से शाबासी मिलने की बजाय उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज गिरफ्तारी की तैयारी की जा रही है। इस आंशका को देखते हुए शुक्ला ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में शुक्ला ने अवैध फोन टैपिंग को लेकर मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर मामले में खुद को कड़ी कार्रवाई से सरंक्षण प्रदान करने की मांग की है। शुक्ला पर तबादलों को लेकर संवेदनशील दस्तावेज लीक करने का आरोप है।
उन्होंने आशंका जताई है कि सरकार उनकी गिरफ्तारी करा सकती है। इस लिए अधिवक्ता समीर नांगरे के मार्फत दायर इस याचिका व इससे जुड़े आवेदन पर तत्काल सुनवाई के लिए निवेदन किया गया है। शुक्ला फिलहाल हैदराबाद में केंद्रीय सुरक्षा दल (सीआरपीएफ) के दक्षिणी जोन की अतिरिक्त महानिदेशक हैं। शुक्ला ने दावा किया है कि उन्होंने जो कुछ किया वह उनकी आधिकारिक ड्यूटी का हिस्सा था। यह भ्रष्टाचार को उजागर करने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए किया गया था।
लेकिन याचिकाकर्ता के कार्य की सराहना करने की बजाय सरकारी प्रशासन उन्हें झूठे आपराधिक मामले में फसाने में लगा हुआ है। इसलिए उन्हें इस मामले में अंतरिम राहत दी जाए। याचिका पर 4 मई 2021 को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की खंडपीठ के सामने सुनवाई हो सकती हैं। गौरतलब है कि ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के प्रावधानों के तहत बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) के सायबर पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जिन पर फोन टैपिंग व पुलिस पोस्टिंग से जुड़े दस्तावेज लीक करने का आरोप है। यह टैपिंग तब की गई जब शुक्ला राज्य खुफिया विभाग में थी। पिछले महीने शुक्ला को समन जारी किया था। लेकिन वे सायबर पुलिस के सामने हाजिर नहीं हुई ।