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ब्रिटेन: लोकप्रिय ‘इस्लाम चैनल’ ऑफकॉम जांच के घेरे में, इस्लामी चरमपंथ भड़काने के आरोप!

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लंदन, 17 मार्च: यूनाइटेड किंगडम (यूके) में सबसे अधिक देखे जाने वाले मुस्लिम टीवी नेटवर्क ‘इस्लाम चैनल’ को ब्रिटेन के मीडिया नियामक ऑफकॉम की जांच का सामना करना पड़ रहा है। चैनल पर हिंसक इस्लामी आंदोलनों का महिमामंडन करने, पश्चिम के खिलाफ शत्रुता भड़काने और जिहादी संगठनों को सहानुभूति के साथ पेश करने का आरोप है।

ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लाम चैनल निष्पक्षता के नियमों का उल्लंघन करने और चरमपंथ को बढ़ावा देने के आरोपों में जांच के घेरे में आ गया है। ऑफकॉम को मिली शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि चैनल ने 7 अक्टूबर 2023 को इज़राइल पर हुए हमास के हमले की प्रशंसा की थी। इसके अलावा, चैनल ने कथित रूप से इज़राइल की तुलना नाज़ियों से की और अपने राजनीतिक कवरेज में इज़राइल समर्थक पक्ष को शामिल करने में विफल रहा।

ऑक्सफोर्ड इंस्टीट्यूट फॉर ब्रिटिश इस्लाम के निदेशक डॉ. ताज हार्गे ने इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट ऑफकॉम को सौंपी। रिपोर्ट में कहा गया कि नवंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच चैनल ने प्रसारण संहिता के कई उल्लंघन किए हैं।

क्या हैं आरोप?:
  1. चरमपंथियों को मंच देना: चैनल ने कथित तौर पर उन अतिवादी इस्लामी विचारधाराओं को बढ़ावा दिया, जो पश्चिमी समाज के खिलाफ शत्रुता पैदा करती हैं।
  2. जिहादी संगठनों के प्रति सहानुभूति: हमास और ईरान जैसे संगठनों को चैनल ने पश्चिमी लोकतंत्रों के खिलाफ “वैध प्रतिरोध आंदोलन” के रूप में पेश किया।
  3. निष्पक्षता का उल्लंघन: गाजा संघर्ष की रिपोर्टिंग के दौरान इज़राइल समर्थक वक्ताओं को शामिल नहीं किया गया।
  4. सांप्रदायिकता को बढ़ावा: चैनल ने इस्लाम के केवल वहाबी-सलाफी विचारधारा को बढ़ावा दिया और शिया, सूफी और अहमदी संप्रदायों के मुसलमानों को शामिल नहीं किया।

ब्रिटिश इस्लाम के एक जाने माने उदारवादी विचारक डॉ. ताज हार्गे ने कहा,”इस्लाम चैनल ब्रिटेन में घृणास्पद इस्लामी कट्टरवाद का प्रतीक बन चुका है। यह ब्रिटिश मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है, लेकिन इसकी सांप्रदायिक विचारधारा मुस्लिम कट्टरता को मुख्यधारा में लाने की एक चाल है।” उन्होंने आगे कहा कि चैनल की भाषा और अतिवादी मेहमान ब्रिटिश समाज के पारंपरिक मूल्यों के खिलाफ हैं।

ऑफकॉम वर्तमान में ‘इस्लाम चैनल’ के खिलाफ मिली शिकायतों का आकलन कर रहा है ताकि यह तय किया जा सके कि इस पर पूर्ण जांच की जाए या नहीं। अगर चैनल दोषी पाया जाता है, तो उसे भारी जुर्माना, प्रतिबंध या प्रसारण लाइसेंस रद्द करने जैसी सख्त सजा मिल सकती है। ब्रिटेन में प्रसारण कानून के तहत किसी भी चैनल की सामग्री से किसी समुदाय को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए, न ही अपराध, हिंसा या अव्यवस्था को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। आरोपों के आधार पर इस्लाम चैनल ने इन नियमों का उल्लंघन किया है।

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यूके में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले मुस्लिम चैनल पर इस तरह के गंभीर आरोप लगने से ब्रिटिश मीडिया और मुस्लिम समुदायों के बीच एक बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। अगर जांच आगे बढ़ती है, तो यह मामला ब्रिटेन में धार्मिक प्रसारण की सीमाओं और मीडिया की निष्पक्षता पर एक नई बहस को जन्म दे सकता है।

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