अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID), जिसने अपने भारतविरोधी और मोदी-विरोधी सहयोगीयों के माध्यम से भारत में ‘रंगीन क्रांति’ लाने का प्रयास किया था। USAID ने भारत में प्रवासी श्रमिकों के बीच अकेलेपन को दूर करने के लिए कथित तौर पर 7,50,000 डॉलर (लगभग 6.56 करोड़ रुपये) खर्च किए थे।
यह मामला बुधवार (5 जनवरी) को USAID फंडिंग पर US हाउस ओवरसाइट कमेटी द्वारा की गई सुनवाई के दौरान प्रकाश में आया। रिपब्लिकन प्रतिनिधी नैन्सी मेस को यह कहते हुए सुना गया, “USAID ने भारत में प्रवासी परिधान श्रमिकों के बीच अकेलेपन को दूर करने के लिए 7,50,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि प्रदान की है। क्या यह अमेरिका के हितों को आगे बढ़ाता है, गवर्नर?”
रिपोर्ट्स से सामने आया है की USAID ने ‘गुड बिजनेस लैब (जीबीएल)’नामक गैर-सरकारी फाउंडेशन के साथ साझेदारी की है। बता दें की, इस जीबीएल के सीईओ और सह-संस्थापक अनंत आहूजा हैं, जो अभिनेत्री सोनम कपूर के देवर हैं।
वहीं रिपोर्ट ने यह भी कहा है की जीबीएल ने अध्ययन करने के लिए अपने साझेदार ‘शाही एक्सपोर्ट्स’ की मदद ली। शाही एक्सपोर्ट्स, जो भारत का सबसे बड़ा रेडीमेड गारमेंट निर्यातक है,और इसकी स्थापना 1974 में सरला आहूजा ने की और वह सोनम कपूर की सास हैं। बता दें की, अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि गुड बिजनेस लैब फाउंडेशन और शाही एक्सपोर्ट्स के साथ साझेदारी में किए गए इस अध्ययन में USAID ने पुरे 7,50,000 डॉलर (लगभग 6.56 करोड़ रुपए) खर्च किए या नहीं।
USAID के साथ साझेदारी करने वाली इस गैरसरकारी संस्था के सह-संस्थापक अनंत आहूजा एक्स पर उनकी विचारधारा जाहिर करते रहते है। इससे यह स्पष्ट होता है कि विवादास्पद अमेरिकी एजेंसी ने उनके एनजीओ के साथ क्यों काम किया।
एक ट्वीट में आहूजा ने मनी लाउंडरिंग मामले में आरोपी राना अय्यूब के ट्वीट को रीट्वीट कर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गाली दी थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री को हिंसा की धमकी भी दी। बता दें की राना अय्यूब को फरवरी 2021 में USAID द्वारा प्रकाशित 96-पृष्ठ के ‘डिसइन्फॉर्मेशन प्राइमर’ में भी प्रचारित किया गया था।
भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के चरम पर, अनंत आहूजा मोदी विरोधी दुष्प्रचार के शीर्ष पर थे। उन्होंने नियमित रूप से देश में कोरोनावायरस महामारी से निपटने के सभी प्रयासों की निंदा करते हुए कथा निर्माताओं के ट्वीट को बढ़ावा दिया।
मार्च 2017 में, हेरिटेज फाउंडेशन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें बताया गया कि कैसे USAID ने ओबामा प्रशासन के दौरान कई देशों में अपने कट्टरपंथी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए दूर-वामपंथी अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ मिलकर काम किया ।
यह भी पढ़ें:
मिर्जापुर: वक्फ बोर्ड का फर्जीवाड़ा, 704 में से 598 सम्पत्तियां सरकारी खतौनी पर दर्ज!
भारतीय सेना में आधुनिक एके 203 राइफल्स की एंट्री!
राहुल गांधी के महाराष्ट्र चुनाव पर सवाल, नए मतदाता कहां से आए?
रिपोर्ट में कहा गया है, “… साक्ष्य सामने आ रहे हैं कि पिछले आठ वर्षों के दौरान, सोरोस, उनके ओपन सोसाइटीज फाउंडेशन (ओएसएफ) और उनके कई छोटे सहयोगियों ने यूएसएआईडी के माध्यम से अमेरिकी करदाताओं का पैसा प्राप्त किया है और यूएसएआईडी ने ओएसएफ को अपनी सहायता का मुख्य कार्यान्वयनकर्ता बनाया है। ”
भारत में ‘रंगीन क्रांति’ द्वारा अराजक माहौल फ़ैलाने के लिए USAID का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसमें बड़े स्तर पर पूंजीवाद जॉर्ज सोरोस भी शामिल है। ऐसे में USAID से पैसे लेकर भारतविरोधी काम करने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए यही राष्ट्रिय विचारकों की मांग है।