नोएडा में जुलाई 2023 में उजागर हुई ₹3.90 करोड़ की बैंकिंग धोखाधड़ी के एक प्रमुख आरोपी वरुण कुमार त्यागी को आखिरकार क्राइम ब्रांच और सेक्टर-58 पुलिस की संयुक्त टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी को दिल्ली के मानसरोवर पार्क थाना क्षेत्र के राम नगर एक्सटेंशन से पकड़ा गया, जहां वह पहचान छुपाकर रह रहा था। उस पर ₹25,000 का इनाम घोषित था।
पूरा मामला तब सामने आया था जब नोएडा विकास प्राधिकरण ने बैंक ऑफ इंडिया, सेक्टर-62 में लगभग ₹200 करोड़ की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) कराई थी। एफडी की धनराशि एचडीएफसी बैंक, सेक्टर-18 और इंडियन बैंक, सेक्टर-61 से ट्रांसफर की गई थी। बैंक ने FD की दो मूल प्रतियां भी प्राधिकरण को सौंपीं।
लेकिन 3 जुलाई 2023 को जब प्राधिकरण ने बैंक में जाकर एफडी की पुष्टि की, तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ — कोई एफडी बनी ही नहीं थी, और 30 जून को 3.90 करोड़ रुपए पहले ही खाते से ट्रांसफर किए जा चुके थे। संदेह होने पर बैंक ने तत्काल ₹9 करोड़ के एक अन्य लेनदेन को रोकते हुए खाता फ्रीज कर दिया।
जांच में सामने आया कि यह रकम नोएडा प्राधिकरण के नाम से फर्जी खाता खोलकर और जाली दस्तावेजों व हस्ताक्षरों के ज़रिए ट्रांसफर की गई थी। खाता अब्दुल खादर नामक व्यक्ति चला रहा था, जो पहले ही पुलिस की गिरफ्त में है।
गिरफ्तार आरोपी वरुण कुमार त्यागी ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर यह पूरा फर्जीवाड़ा रचा। एफडी के नाम पर तीन अलग-अलग खातों में 3.90 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। त्यागी ने यह भी बताया कि उसके हिस्से में केवल 4 लाख रुपए आए, लेकिन इसके बदले वह अपनी असली पहचान छुपाकर केवल ‘त्यागी’ नाम का इस्तेमाल करने लगा।
इस मामले में पुलिस ने पहले ही कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है,जिनमें अब्दुल खादर, राजेश पांडेय, सुधीर मुरारी, राजेश बाबू, मनु भोला (मुख्य साजिशकर्ता), त्रिदिब दास, राहुल मिश्रा उर्फ गौरव शर्मा, अजय कुमार पटेल शामिल है। पुलिस के अनुसार, यह एक संगठित गिरोह है जो सरकारी एजेंसियों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर वित्तीय जालसाजी करता है।
नोएडा पुलिस इस मामले में अब भी अन्य संभावित संलिप्त लोगों की तलाश में जुटी है। फॉरेंसिक और साइबर सेल की टीमें धनराशि की पूरी ट्रेल खंगाल रही हैं और इस बात की पुष्टि कर रही हैं कि कहीं कोई और एफडी या सरकारी खाता ऐसे गिरोहों के निशाने पर तो नहीं है।
यह मामला सिर्फ एक बैंकिंग धोखाधड़ी नहीं, बल्कि सरकारी प्रणाली को चकमा देने की एक जटिल साजिश है। वरुण कुमार त्यागी की गिरफ्तारी से जहां इस केस की गुत्थी काफी हद तक सुलझी है, वहीं यह भी स्पष्ट हो गया है कि साइबर-फ्रॉड के इस नए युग में वित्तीय संस्थानों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है।
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